News Agency : जिस शख्स ने प्रबंधन पर twelve किताबें लिखी हों और twenty से ज्यादा रिसर्च पेपर दिए हों, वो आज अपनी पत्नी संग वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर हैं। दिल्ली के मुकेश भाटिया की जिंदगी का प्रबंधन ऐसा बिगड़ा कि घर छोड़ना पड़ गया। उन्होंने देश ही नहीं, देश के बाहर दुबई में भी प्रबंधन का ज्ञान बांटा है। पत्नी नीलम भी एमबीए हैं।
आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे दिल्ली के चांदनी चौक निवासी मुकेश भाटिया बताते हैं कि बेटे ने धोखे से सारी जायदाद अपने नाम करा ली। इसके बाद उसका और बहू का व्यवहार इतना खराब हो गया कि वहां एक पल भी रहना मुश्किल था। नीलम कहती हैं, मैंने तो किसी तरह इसे किस्मत का लिखा मानकर खुद को संभाल लिया है, लेकिन ये (मुकेश ) सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था। लगे भी क्यों नहीं, क्या दौर बीता है उनकी जिंदगी का। जगह-जगह कॉलेज से डिमांड आती थी उनके लेक्चर की। एक-एक लेक्चर दो-दो घंटे का होता था। छात्र-छात्राओं को सिखाते थे, घर और जिंदगी का प्रबंधन कैसे करना चाहिए? लेकिन किस्मत का पहिया ऐसा घूमा कि हमारी जिंदगी का ही प्रबंधन बिगड़ गया।
मुकेश भाटिया कहते हैं कि 1980 में हम दोनों ने लव मैरिज की थी। तब से लेकर आज तक हम दोनों एक-दूसरे के साथ हर सुख-दुख में रहे हैं। मैंने कुल twelve किताबें लिखी हैं और मेरी सारी किताबें 250 से three hundred पेज की हैं। इनमें पत्नी ने मदद की है। मुकेश भाटिया ने स्टेजिक मैनेजमेंट, बिजनेस कॉम्पनीकेशन, फैमिली बिजनेस मैनेजमेंट, प्रोफेशनल सेलिंग, रिटेल मैनेजमेंट, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, इंटरनेट मार्केटिंग नाम से किताबें लिखी हैं।
एक बार आश्रम की ओर से फोन किया गया तो बेटे का जवाब मिला कि अब उनका उनसे कोई संबंध नहीं हैं और दोबारा फोन मत करना। एक बेटी है जो फोन पर हालचाल लेती रहती है। वो पापा की दवाई के लिए पैसे भी भेजती है। मम्मी पापा के इस हाल में पहुंच जाने से बेटी को बहुत दुख है।