अपराधियों को CID ने दबोचा* एवं जल
रांची : CID की साइबर क्राइम ब्रांच ने रेड मारकर रांची और पश्चिम बंगाल में फर्जी CBI अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वाले पांच साइबर अपराधियों को दबोच लिया।गि
रफ्तार साइबर अपराधियों ने 28 लाख रुपये की ठगी की थी। CID की साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस गिरोह का सरगना योगेश अग्रवाल है जो रांची के स्थानीय पते और लोगों की जानकारी टेलीग्राम के जरिए हांगकांग में बैठे अपने साथियों को मुहैया कराकर विदेशी सर्वर के जरिए ठगी करवाता था।
मुख्य सरगना योगेश अग्रवाल रांची और गुड़गांव जैसे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से फर्जी कंपनियां खोलकर लोगों से उनमें निवेश करवाता था।
CID ने जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि साइबर अपराधियों ने खुद को CBI दिल्ली का सीनियर अधिकारी बताकर रांची निवासी मनीष प्रकाश को कॉल किया।
इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष कुमार से कहा कि उनके खिलाफ अवैध Advertising Harassment का केस किया गया है।
अगर आप CBI में आकर मामले का निपटारा नहीं करते हैं, तो 90 दिनों के अंदर आपके पूरे परिवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा।
फर्जी सीबीआई अधिकारियों ने मनीष प्रकाश से यह भी कहा कि अगर वह कुछ पैसे बैंक में निवेश कर दें तो आरोप लगाने वाले व्यक्ति को भी मैनेज किया जा सकता है।
इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष प्रकाश को ऐसे सबूत और फर्जी दस्तावेज दिखाए कि मनीष को पूरी तरह से यकीन हो गया कि वह किसी और की वजह से बड़े घोटाले में फंस गए हैं।
धीरे-धीरे साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में 28 लाख रुपये जमा हो गए। कुछ दिनों के बाद जब पीड़ित को साइबर अपराधियों के बारे में पता चला तो उसने साइबर थाने में जाकर मामला दर्ज कराया।
विदेशी सर्वर के माध्यम से ठगी की मिली जानकारी
मामला दर्ज होने के बाद जब CID की Cyber Crime Branch ने साइबर अपराधियों की तलाश शुरू की तो पता चला कि रांची और पश्चिम बंगाल से विभिन्न विदेशी सर्वर के जरिए ठगी की जा रही है।
तकनीकी सूचना टीम के सहयोग से CID की Cyber Crime Branch की टीम ने रांची के विशाल शर्मा, आशीष कुमार, अंकित अग्रवाल, योगेश अग्रवाल और पश्चिम बंगाल के विशाल शर्मा को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से हांगकांग, इंडोनेशिया और अमेरिका की करेंसी भी बरामद हुई है।