देश के पहले प्रधानमंत्री फूलपुर से हुए

First Prime Minister of the country, from Phulpur

News Agency : देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाला फूलपुर लोकसभा क्षेत्र one951 में हुए पहले ही आम लोकसभा चुनाव में दो सांसद देने वाला क्षेत्र भी बना था। उस चुनाव में फूलपुर का नाम इलाहाबाद ईस्ट कम जौनपुर वेस्ट था। यहां से पंडित जवाहरलाल नेहरु सांसद चुने गए तो उनके साथ ही कांग्रेस के मसुरियादीन भी सांसद बन गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस चुनाव में 1 सीट से a pair of प्रत्याशियों को विजयी घोषित करने का नियम बनाया गया था और यह नियम इस सीट पर भी था।

1951 के चुनाव में लागू इस नियम के तहत एक सामान्य वर्ग का और एक अनुसूचित जाति वर्ग का प्रत्याशी सांसद चुना जाना था। इसी नियम के तहत चुनाव में जवाहर लाल नेहरू के साथ मसुरियादीन भी कांग्रेस के प्रत्याशी रहे और दोनों चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे। आश्चर्य की बात यह रही कि जवाहरलाल जहां देश के सबसे कद्दावर नेता थे उसके बावजूद जवाहर लाल व मसुरियादीन के वोटों में बहुत कम अंतर था। जवाहर लाल नेहरू को thirty eight.73 प्रतिशत यानी कुल a pair of लाख thirty three हजार 571 वोट मिले थे, जबकि मसुरियादीन को thirty.13% वोट यानी one लाख eighty one हजार 700 वोट मिले थे।

फूलपुर में इस समय निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बाहुबली अतीक अहमद का नाम अगर गूंज रहा है और सारे समीकरण बदले हैं तो इसके पीछे इतिहास के वो समीकरण हैं जो इसी सीट पर निर्दलीय के जलवे को दर्शाते हैं। पहले आम चुनाव में कांग्रेस के बाद निर्दलियों का जलवा फूलपुर लोकसभा के चुनाव में देखने को मिला था। जवाहर लाल नेहरू का मसूरियादीन के बाद चौथे नंबर पर निर्दल बंसीलाल प्रभुदत्त ब्रह्मचारी रहे जिन्होंने nine.1 four-hundredth मत हासिल किया और कुल 56718 वोट मिला, जबकि तीसरे नंबर पर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बंशी लाल रहे, जिन्हे 9.89 प्रतिशत (59642) वोट मिले और वह थोड़ी सी ही बढ़त बना सके थे। हालांकि, पांचवें नंबर पर भी फूलपुर में निर्दलीय प्रत्याशी का ही जलवा देखने को मिला था। तब केके चटर्जी ने 27392 वोट हासिल किए थे। उस चुनाव में हिंदू महासभा काफी चर्चित हो चुकी थी, लेकिन वह भी निर्दलीयों से पार नहीं पा सकी थी।

मौजूदा समय में पूरे देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा का उस समय इस नाम से जन्म नहीं हुआ था और यूपी की दिग्गज पार्टी समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी भी भविष्य के गर्भ में कई वर्षों तक कैद रही। उसके बावजूद राजनैतिक दलों की कोई कमी नहीं थी। 1951 के लोकसभा चुनाव में कुल fifty seven पार्टियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें fourteen राष्ट्रीय पार्टी और thirty-nine राज्य स्तरीय पार्टी शामिल थीं। इनमें राष्ट्रीय पार्टियों में प्रमुख तौर पर ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ, बीपीआई, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, फॉरवर्ड ब्लॉक मार्किस्ट ग्रुप, फॉरवर्ड ब्लॉक (आरजी), अखिल भारतीय हिंदू महासभा, इंडियन नेशनल कांग्रेस, कृषकर लोक पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, रिवोल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय राम राज्य परिषद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन, सोशलिस्ट पार्टी रही।

जवाहर लाल नेहरू को thirty eight.73 प्रतिशत यानी कुल 233571 वोट मिले थे। मसुरियादीन को thirty.13% वोट यानी one लाख 81700 वोट मिले थे। किसान मजदूर प्रजा पार्टी बंशी लाल को nine.89 प्रतिशत (59642) वोट मिले, जबकि प्रभुदत्त ब्रह्मचारी निर्दल को nine.1 four-hundredth यानी 56718 वोट मिले। वहीं, के के चटर्जी इंडिपेंडेंट 27392 (4.4%) और हिंदू महासभा के लक्ष्मण गणेश को 25870 मत यानी four.3% वोट मिले। इसके अलावा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के बद्री प्रसाद को 18129 मत मिले थे।

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