*रक्षाबंधन 11 या 12 – दूर करे कंफ्यूजन, जाने कब है शुभ मुहूर्त*

*रक्षाबंधन 11 या 12 – दूर करे कंफ्यूजन, जाने कब है शुभ मुहूर्त*

 

 

लखीसराय से संवाददाता अनुराग आनंद की रिपोर्ट ✍️

*लखीसराय:-* भारत एक ऐसा देश है जो की अपने त्योहारों और विशेष अवसरों के लिए जाना जाता है। ऐसा ही एक त्योहारों में से रक्षाबंधन भी एक त्योहार है. यह एक ऐसा त्योहार है जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते को दिखाता है। रक्षाबंधन के इस पावन त्योहार पर सभी बहनें अपने भाइयों के हाथ पर राखी बांधती हैं और अपने भाइयों से रक्षा का वचन मांगती हैं। साथ ही सभी बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना भी करती हैं। अगर हम पौराणिक मान्यता की बात करे तो, उसके अनुसार राखी का पावन त्योहार श्रावण मास यानि सावन की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष इसकी डेट को लेकर कुछ लोगों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। ज्योतिष के अनुसार इस साल पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 से आरंभ होगी और 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी. लेकिन साथ ही ज्योतिषों का कहना है कि 11 अगस्त के दिन सूर्योदय से ही भद्राकाल लग रहा है, जो की 11 अगस्त की रात्रि 08 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगा इसलिए लोग अपनी मान्यता और अपने ज्योतिष के अनुसार राखी का त्योहार मना सकते है। वहीँ हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसमे शुभ मुहुरुत का भी ध्यान रखा जाता है और पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य भद्रा काल में नहीं होता है. बता दे कि वैसे ज्योतिष जिन्हें शास्त्रों की जानकारी है उनका कहना है कि इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व एक बेहद शुभ योग में मनाया जाएगा और इस दुर्लभ योग के कारण ही इस बार का रक्षाबंधन का त्योहार और भी ज्यादा खास होने वाला है. अगर ज्योतिषियों की मानें तो उनके अनुसार भाई-बहन का यह प्यार भरा त्योहार अमृत योग में मनाया जाएगा। उनका कहना है कि रक्षाबंधन पर 24 साल बाद यह संयोग बना है। रक्षाबंधन के दिन अपने भाई के हांथो पर राखी बांधने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए . राखी के थाली में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. साथ ही घी का एक दीपक भी प्रज्वलित करें जिससे भाई की आरती उतारी जाएगी। पूजा की थाल और रक्षा सूत्र भाई के हाथ में बाँधने से पहले भगवान को समर्पित करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूरब दिशा में और बहन का पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि पूर्व या उत्तर दिशा में भाई का मुख करके राखी बांधने से उस पर आने वाले सभी संकट टल जाते हैं। रक्षासूत्र बांधने के समय भाई और बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षा बंधवाने के बाद माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लेना न भूले और इसके बाद बहन को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें. उपहार देने समय यह ध्यान रखे कि, उपहार में कुछ ऐसी वस्तुएं दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों। काले वस्त्र, नुकीली चीजें या या तीखी या नमकीन चीजें उपहार के रूप में न दे।

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