एमिटी विश्वविद्यालय में डीएसटी-एसटीयूटीआई प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

शिक्षा प्रतिनिधि द्वारा
राँची : एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार 1/4डीएसटी1/2 और नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सहयोग से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तक पंहुच के माध्यम से 30 सिविल एवं इलेक्टंीकल इंजिनियर शोधकर्ताओं  और वैज्ञानिकाें के कौशल और ज्ञान के विकास हेतु राउरकेला के नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी में डीएसटी-एसटीयूटीआई नामक साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

 

23 से 29 मई तक चलने वाले इस कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय झारखंड के वाइस चांसलर प्रोफेसर आर के झा, नेशनल इ ंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी राउरकेला के निदेशक प्रोफेसर के. उमामहेश्वर राव द्वारा किया गया। इस अवसर पर नेशनल इंस्टीटय ट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर पी के रे और प्राे. के .के कथुआ भी उपस्थित थे। इस साप्ताहिक कार्यक्रम में शिक्षण संस्थानों, उद्योगाेंआदि से 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है। एमिटी विश्वविद्यालय झारखंड के वाइस चांसलर प्रो. आर के झा ने प्रतिभागीयों काे संबोधित करतेहुए कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में  प्रारंभिक   स्तर पर की गई मेहनत आपके लिए विकास के नयेरास्ते खोलता है इसलिए शोध में भी आने वाले 4 से 5 साल बेहद महत्वपूर्ण हैं जिसे गैर उत्पादक ना बनायें। प्रो.झा ने कहा अपने शोध क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रीत करें और आधुनिक तकनीकी का उपयोग करके आगे बढ़ें। मस्तिष्क का उपयोग समाज की समस्याओं के निराकरण हेतु करें। प्राे झा ने एमिटी शिक्षण समूह के ध्येय शिक्षा से राष्ट्र निर्माण, छात्रों और विधार्थियों को शोध के लिए प्रोत्साहन, तकनीकीयों का उद्योगाें काे हस्ंतारण आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान की। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी राउरकेला के निदेशक प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव ने संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम आप सभी काे स्वंय के कौशलों और ज्ञान में वृद्धी करने का अवसर प्रदान कर रहा है इसलिए इस अवसर का पूर्णत लाभ उठायें। वर्तमान समय में हम डिजीटल युग में हैं जहां पूरा विश्व आपस में जुड़ा है, बड़ी मात्रा में डाटा उपलब्ध है और उद्योग 4.0 की क्रांती हो रही हैं, चीजें सेकेंड और नैनो सेकेंड के समय में बदल रही है। इस अवसर का उपयोग करें और जिम्मेदार बनें। जब आप आत्मनिर्भर बनेगें तो एक-एक व्यक्ति से विभाग आत्मनिर्भ र होगा उससे संस्थान, समाज और देश आत्मनिर्भर बनेगा। जिम्मेदार व्यक्ति सदैव अपने कौशल और ज्ञान का विकास करके समस्या का निवारण खोजते हैं। गैरजिम्मेदार, समस्या के लिए दूसराें को आरोपित करते है। स्वंय के मस्तिष्क काे आधुनिक तकनीकाेंसे तेज बनायें। वहीं नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफसर पी .के .रे ने जानकारी देते हुए कहा कि इस साप्ताहिक कार्यक्रम के लिए बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए पर सिर्फ 30 लोगों का ही चयन किया गया। यहा ं पर विषेशज्ञों द्वारा आधुनिक तकनीकों पर जानकारी प्रदान की जायेगी। विदित हाे कि एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश को विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग 1/4डीएसटी1/2 द्वारा परियोजना प्रबंधन इकाई के रूप में ‘वैज्ञानिक और तकनीकी बुनियादी ढांचे का उपयोग करने वाले सिनर्जि स्टिक ट्रेंनिंग प्रोग्राम कार्यक्रम से सम्मानित किया गया है।

शैक्षणिक संस्थानों में शोध और विकास संरचना के विस्तार के लिए डीएसटी प्रयोजित विभिन्न परियोजनाआें के पूरक के रूप में एसटीयूटीआई योजना एक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और अत्याधुनिक उपकरणों के संवेदीकरण के साथ-साथ पारदर्शीता पंहुच सुनिश्चित करते हुए विज्ञान और तकनीकी सुविधाओें काे साझा करने की कल्पना करती है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हब एंड स्पोक मॉडल दृष्टिकोण पर आयोजित किया जायेगा। इस अवसर पर शुभारंभ कार्यक्रम के अंत में एमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के प्रोफेसर अतुल्य कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

 

 

 

 

 

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