उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल करने की कोशिशें अभी भी जारी हैं। सपा-बसपा के गठबंधन में जगह न मिलने के बाद कांग्रेस ने अकेले लड़ने की घोषणा की थी। लेकिन पार्टी ने जिस तरह प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्य की कमान सौंपी उसके बाद छोटे- छोटे दल पीस पार्टी, महान दल साथ आए और अब दूसरे दलों के नेताओं के कांग्रेस का हाथ थामने के सिलसिले ने सपा-बसपा की चिंता बढ़ा दी है। लिहाजा एक बार फिर इस बात की कोशिशें जारी हैं कि कांग्रेस के लिए कुछ अधिक सीट छोड़ दी जाए ताकि वोटों का बंटवारा न हो।
सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस के बिना मांगे अमेठी और रायबरेली में अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। सूत्रों की मानें तो अब नए प्रस्ताव में कांग्रेस के लिए नौ सीटें छोडने की बात कही गई। फिलहाल जिसे पार्टी ने सिरे से खारिज कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक देश के बदले राजनीतिक माहौल के बाद उच्च स्तर पर रविवार रात गठबंधन को महागठबंधन बनाने की कवायद पर बातचीत हुई थी। फिलहाल बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है लेकिन बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है।
कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से और प्रिंयका ने भी यूपी में राजनीतिक समझौते, दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करने आदि की बातचीत का जिम्मा महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपा है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री के बाद कांग्रेस राजनीतिक हलचल बढ़ी है।
पार्टी में सक्रियता, कांग्रेस के पुराने नेताओं की वापसी के साथ दूसरे दलों के नेता भी खुद को जोड़ रहे हैं। चूंकि सपा-बसपा ने अपनी-अपनी सीटें घोषित कर दी हैं लिहाजा जहां सपा नेता तैयारी में थे वहां बसपा लड़ रही है। ऐसे ही बसपा में तैयारी कर रहे नेताओं को सपा के लिए सीट छोड़ दी हैं।