कांग्रेस ने अमेठी में पूरी ताकत झोंकी

Congress pushes full power in Amethi

सिद्धार्थ कलहंस,

कांग्रेस ने गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में इस बार कड़ी चुनौती से पार पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बीते कई लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस बार न केवल प्रियंका गांधी अमेठी को ज्यादा समय दे रही हैं बल्कि पहली बार इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने कमजोर बूथों को मजबूत करने और प्रचार करने के लिए one hundred से ज्यादा नौजवानों की एक टीम उतारी है। पहले वामपंथी संगठनों से जुड़े ये नौजवान हाल में कांग्रेस में आए हैं। इनमें से ज्यादातर पड़ोसी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सक्रिय राजनीति में रहे हैं। दशकों बाद अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ समाजवादी पार्टी के लोग भी नजर आ रहे हैं। अमेठी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली पांच विधानसभाओं में अकेले गौरीगंज में सपा को छोड़कर बाकी चारों में भाजपा का कब्जा है। सपा विधायक राकेश सिंह लगातार इस बार राहुल गांधी के लिए प्रचार में जुटे हैं।

अमेठी में राहुल गांधी के प्रचार के लिए डेरा डालने वाली टीम के एक सदस्य ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के प्रचार में संपर्क गांव नाम का एक अभियान चलाया जा रहा है। इसमें शहरी इलाकों से सटे गांवों, ढाबों और कस्बों में जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है, लेकिन अंदर के गांवों में उनका प्रचार-प्रसार नहीं दिखता है। अमेठी टीम के सदस्यों का कहना है कि उन्हें पिछली बार के कमजोर बूथों की जिम्मेदारी दी गई है और वे स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अभियान चला रहे हैं।

लंबे समय से चर्चाओं में रहने के बाद आखिरकार संगठन में औपचारिक प्रवेश के बाद प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की forty one लोकसभा सीटों का प्रभार सौंपा गया था। प्रदेश में जमकर रैलियां, रोडशो और सभाएं करने के बाद बीते तीन दिनों से प्रियंका ने अमेठी में डेरा डाल रखा है। इस दौरान प्रियंका अमेठी में गांव-गांव जाकर नाराज समर्थकों को मना रही हैं और बैठकें कर रही हैं।

कांग्रेस के गढ़ अमेठी-रायबरेली के लोगों का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी का चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में बने रहना कारगर साबित हो रहा है। अब तक जो भी बड़े नाम गांधी परिवार से मुकाबले के लिए मैदान में उतारे जाते रहे, वे चुनाव हारने के बाद गायब हो जाते थे। मगर स्मृति ईरानी के मामले में ऐसा नहीं है। स्मृति न केवल हारने के बाद भी अमेठी में बनी रहीं बल्कि केंद्रीय योजनाओं के पैसे से काफी काम भी करवाया है। इसके अलावा भाजपा व संघ ने स्मृति के लिए दिन-रात एक कर दिया है। बीते एक महीने से स्मृति ईरानी कहीं और प्रचार न करके अमेठी में ही बनी हुई हैं। भाजपा के क्षेत्रीय विधायक व कार्यकर्ता लगातार उनके साथ मेहनत कर रहे हैं। अमेठी के ही तेज बहादुर सिंह कहते हैं कि बसपा प्रत्याशी के न होने व सपा के खुलकर साथ देने का फायदा राहुल गांधी को जरूर मिल रहा है। साथ ही इस इलाके का जातीय गणित भी उनके मुफीद है। हालांकि वह कहते हैं कि स्मृति ईरानी की मेहनत, भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की पकड़ लगातार इस इलाके में बढ़ी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सिंह का कहना है कि जहां रायबरेली में कांग्रेस छोड़ भाजपा में पहुंचे प्रत्याशी को लेकर लोगों में नाराजगी है, वहीं अमेठी में ऐसा नहीं है। शायद यही कारण हैं कि बीते कई चुनावों के मुकाबले कांग्रेस को इस बार ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है।

अमेठी के ही तेज बहादुर सिंह कहते हैं कि बसपा प्रत्याशी के न होने व सपा के खुलकर साथ देने का फायदा राहुल गांधी को जरूर मिल रहा है। साथ ही इस इलाके का जातीय गणित भी उनके मुफीद है। हालांकि वह कहते हैं कि स्मृति ईरानी की मेहनत, भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की पकड़ लगातार इस इलाके में बढ़ी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सिंह का कहना है कि जहां रायबरेली में कांग्रेस छोड़ भाजपा में पहुंचे प्रत्याशी को लेकर लोगों में नाराजगी है, वहीं अमेठी में ऐसा नहीं है। शायद यही कारण हैं कि बीते कई चुनावों के मुकाबले कांग्रेस को इस बार ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है।

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