कांग्रेस सीधे कर सकती है प्रत्याशियों के नाम घोषित

लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में झारखंड में गठबंधन की राजनीति करने वाली पार्टियां भी जल्द से जल्द सीटों की शेयरिंग को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रही हैं। महागठबंधन के लिए कांग्रेस त्याग कर सकती है। राज्य में जिस सीट को लेकर सबसे ज्यादा विवाद या चर्चा थी वह सीट कांग्रेस छोड़ने के लिए लगभग तैयार हो गई है। यह सीट गोड्डा का है। इस पर कांग्रेस का उतना ही दावा था जितना झाविमो का। झाविमो किसी भी कीमत पर वह सीट हासिल करना चाहती है। 

  1. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इसके लिए अपनी कोडरमा सीट भी छोड़ने को तैयार हैं। दूसरी ओर पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और उनके विधायक बेटे डॉ. इरफान अंसारी उस सीट के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए हैं। लेकिन महागठबंधन को बचाए रखने के लिए कांग्रेस गोड्डा सीट छोड़ने का लगभग मन बना चुकी है। अगर अंतिम समय में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो झाविमो उम्मीदवार ही महागठबंधन की ओर से गोड्डा में चुनाव लड़ेगा। 
  2. झामुमो के खाते में दिख रही जमशेदपुर सीटइधर, कोल्हान में भी कम से कम एक सीट पर दावेदारी जता रहे झामुमो के खाते में जमशेदपुर सीट जाती दिख रही है। महागठबंधन को बनाए रखने और इसे मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने जमशेदपुर सीट झामुमो को देने का मन बना लिया है। जमशेदपुर सीट से दावेदार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार को धनबाद से चुनाव लड़ाया जा सकता है। लेकिन डॉ. अजय चुनाव मैदान में जमशेदपुर को छोड़कर कहीं और उम्मीदवार नहीं बनना चाहेंगे, इसलिए उनके चुनाव लड़ने को लेकर संशय बन गया है। 
  3. कांग्रेस 7, झामुमो 4, झाविमो 2 व राजद को 1 सीटअब तक स्थिति के अनुसार झामुमो के खाते में दुमका-राजमहल के अलावा जमशेदपुर और गिरिडीह सीट जा सकती है। झाविमो को गोड्डा, कोडरमा सीट मिलने की उम्मीद है। राजद को चतरा सीट तक ही सीमित रखा जा सकता है। पूर्व डीजीपी राजीव कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे पलामू सीट से पार्टी के प्रबल दावेदार हो गए हैं। उन्हें लालू का नजदीकी भी बताया जाता है, इसलिए उनका समर्थन भी मिलने की संभावना है। इस तरह कांग्रेस के पास रांची, हजारीबाग, खूंटी, पलामू, लोहरदगा, चाईबासा और धनबाद सीट रह जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो कांग्रेस 7, झामुमो 4, झाविमो 2 व राजद 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी। 
  4. कुछ सीटों पर नाम तयमहागठबंधन में सीट शेयरिंग के हिसाब से झामुमो से दुमका से शिबू सोरेन, राजमहल से विजय हांसदा, चाईबासा से गीता कोड़ा, झाविमो से गोड्डा में प्रदीप यादव और कोडरमा से बाबूलाल मरांडी, राजद का चतरा से सुभाष यादव का लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। जबकि खूंटी से कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू, पलामू से पूर्व डीजीपी राजीव कुमार, रांची से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के नाम की चर्चा ज्यादा है। 
  5. गोड्‌डा, जमशेदपुर, खूंटी, पलामू व चतरा सीटों पर फंसता रहा है पेंचमहागठबंधन में पांच सीटों पर मजबूत दावे एक से अधिक दलों के हैं। इन सीटों में गोड्‌डा, जमशेदपुर, खूंटी, पलामू और चतरा की सीटें शामिल हैं। विवाद गोड्डा से शुरू हुआ था। झाविमो प्रदीप यादव और कांग्रेस के फुरकान अंसारी अपना अपना दावा था। गोड्‌डा में कांग्रेस और झाविमो की तरह जमशेदपुर में कांग्रेस और झामुमो के बीच टसल चल रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार वहां से सांसद रह चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस यहां अपनी स्वभाविक दावेदारी बता रहा है, जबकि झामुमो यहां से वर्ष 2004 में चुनाव जीतने के आधार पर अपना दावा कर रहा है। झामुमो ने एक लाख के अधिक अंतर से भाजपा प्रत्याशी को हराया था। इसके बाद की मध्यावधि चुनाव में भी जीत झामुमो की सुमन महतो जीती थीं। 2009 में भी पार्टी को 1,99957 वोट मिले थे। 
  6. अजय कुमार के जनाधार को आधार मानकर दावा कर रही कांग्रेसवहीं कांग्रेस अपने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार के जनाधार को आधार मानकर अपना दावा कर रही है। अजय कुमार 2009 में झाविमो के टिकट पर जीत चुके हैं। 2014 में दूसरे नंबर पर रहे हैं, इसलिए कांग्रेस यहां पर अड़ी है। पलामू में राजद और कांग्रेस आमने सामने है। इसकी वजह भी उम्मीदवार का चेहरा ही है। 2004 में राजद के मनोज कुमार यहां से जीते थे, 2009 में झामुमो के कामेश्वर बैठा जीते थे जो इन दिनों कांग्रेस पार्टी में आ चुके हैं। राजद 2014 में इस सीट पर रनर अप रहा था। इसलिए जीत और दो नंबर के आधार पर राजद का दावा है। राज्य गठन के बाद कांग्रेस कभी इस सीट पर मजबूत नहीं रही है। ऐसे में कामेश्वर बैठा के कांग्रेस में होने के आधार पर जो दावेदारी कर रही है इसे मानने को राजद तैयार नहीं। चतरा सीट अभी भाजपा के खाते में है। लेकिन यहां कांग्रेस और राजद दोनों का मजबूत जनाधार रहा है। 2004 में राजद के धीरेंद्र अग्रवाल यहां से जीते थे। जबकि 2009 और 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस के धीरज प्रसाद साहू दूसरे नंबर पर रहे थे। यही वह पेंच है जिसकी दोनों दल अपनी अपनी तरह से व्याख्या करते हुए दावेदारी ठोक रहे हैं। 

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