बंगाल चुनाव में टीएमसी को कड़ी टक्कर दे रही भाजपा

चुनावों के लिहाज से पश्चिम बंगाल बेहद संवेदनशील रहा है। इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की ममता सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं। ममता बनर्जी भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर अकसर निशाना साधती रहती हैं। उनके हमले के केंद्र में वामदल नहीं बल्कि भाजपा रहती है। बंगाल में पहले सीपीएम और कांग्रेस के बीच चुनाव में हिंसक झड़पें होती थीं जो आज तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा के बीच होने लगी है। वहीं देखा जाए तो बंगाल के हर चुनाव में भाजपा पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभी तक राज्य में कई रैलियां कर चुके हैं। मोदी भी अपनी हर रैली में ममता को निशाने पर लेते देखे जाते हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले को लेकर भी ममता को घेरा है। पिछली रैली में ही उन्होंने कहा था- ‘दीदी जब आपने कुछ किया नहीं है तो जांच से इतना डर क्यों रही हो’।

राज्य में वोटरों की संख्या 6.55 करोड़ है। महिला वोटरों की संख्या 3.39 करोड़ जबकि पुरुष वोटरों की संख्या 3.16 करोड़ है। बंगाल में अभी टीएमसी की सरकार है। 2016 विधानसभा चुनाव में 294 सीटों पर कुल 83.27 फीसदी मतदान हुआ था। विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 212, कांग्रेस को 43, वामदल को 31, भाजपा को 3 और जीजेएम को 3 सीटें मिली थीं। 2014 लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 सीटों पर 83.27 फीसदी मतदाना हुआ था। टीएमसी को 34, कांग्रेस को 4, और सीपीएम-भाजपा को दो-दो सीटें मिली थीं। इन आंकड़ों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प. बंगाल में ममता बनर्जी का किस कदर दबदबा है। 

बंगाल में मुख्यमंत्री पद के लिए ममता बनर्जी सबसे लोकप्रिय चेहरे के रूप में नजर आती हैं। अभिषेक बनर्जी, पार्थ चटर्जी, डेरेक ओब्रायन, सुवेंदु अधिकारी, सुदीप बंदोपाध्याय टीएमसी के महत्वपूर्ण नेताओं में से हैं। भाजपा में दिलीप घोष, मुकुल रॉय, बाबुल सुप्रियो, रूपा गांगुली और राहुल सिन्हा जैसे नेता हैं। जबकि कांग्रेस में सोमेन मित्रा और अब्दुल मन्नान हैं, वहीं सीपीएम में सूर्यकांत मिश्रा, एमडी सलीम, बिमान बोस जैसे चेहरे हैं।

राज्य का बड़ा मुद्दा एनआरसी बन चुका है। भाजपा ममता पर घुसपैठियों को शरण देने का आरोप लगाती रहती है। जबकि राज्य सरकार इसका बचाव करती नजर आती है। भाजपा ने एनआरसी के मुद्दे पर ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि राज्य सरकार घुसपैठियों के लिए सुरक्षित जन्नत बना दी गई है।

नोटबंदी और जीएसटी को लेकर ममता केंद्र की मोदी सरकार पर शुरू से ही हमलावर रही हैं। ममता इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाती रही हैं।

राज्य में बेरोजगारी महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। भाजपा और कांग्रेस बेरोजगारी को लेकर टीएमसी सरकार पर हमला करती रहती है। इन दोनों पार्टियों का आरोप है कि ममता सरकार रोजगार सृजन करने में विफल साबित हुई है। जबकि टीएमसी का कहना है कि उसने राज्य के लाखों युवाओं को रोजगार दिया है, चाहे वह मार्केटिंग हो, कारखाने हों या ग्रामीण इलाके में रोजगार क्यों ना हो। 

ममता बनर्जी कहती हैं, उन्होंने दोनों समुदायों के लिए समान अधिकार दिए हैं। लेकिन भाजपा का आरोप है कि ममता ने एक धर्म विशेष का ही ध्यान रखा है जबकि दूसरे धर्म के लोगों के अधिकारों का हनन किया है। वह दुर्गा विसर्जन का उदाहरण देती है। इसे लेकर मामला अदालत तक पहुंच चुका है।

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