आम चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिशों को लगातार झटका मिल रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद अब बिहार में गठबंधन में खींचतान जारी है। राज्य की 40 सीटों पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और दूसरे सहयोगियों ने कांग्रेस से 13 मार्च तक स्थिति साफ करने को कहा है, नहीं तो वे अपने स्तर पर कोई फैसला ले सकते हैं।
40 सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस के अलावा मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन मांझी, शरद यादव की पार्टी भी गठबंधन में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी थीं। लेकिन इनके बीच सीटों के बंटवारे का मामला फंस गया। कांग्रेस कम से कम 12 सीटें मांग रही है जबकि आरजेडी ने कांग्रेस को अधिकतम 10 सीटें देने की बात कही है। साथ ही आरजेडी का कहना है कि कांग्रेस इन सीटों के बारे में बताए कि उनके उम्मीवार कैसे होंगे ताकि सभी 40 सीटों का संतुलन बनाया जा सके।
साथ ही दोनों दलों के बीच कुछ नामों को लेकर विवाद सामने आ रहे हैं। आरजेडी का यह भी कहना है कि कांग्रेस की तरफ से कुछ फैसला लेने के बाद बीएसपी और लेफ्ट दलों के लिए भी इस गठबंधन में संभावना तलाशी जा सकती है। आरजेडी की मंशा है कि राज्य में बीएसपी और सीपीआई को भी एक-एक सीट दी जाए।
आरजेडी सूत्रों के अनुसार पहले ही सीटों का मामला तय नहीं होने के कारण चुनावी तैयारियों में देरी हो रही है चूंकि 12 मार्च को कांग्रेस की सीडब्लूसी मीटिंग है। ऐसे में 13 को कोई अंतिम फैसला करने को कहा गया है। क्या 13 तक फैसला नहीं होता है तो गठबंधन टूट सकता है? इस सवाल पर आरजेडी सूत्रों का कहना है कि अभी ऐसी स्थिति नहीं है लेकिन यह भी सही है कि अब एक-एक दिन अहम है और वे अधिक दिनों तक इंतजार नहीं कर सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को पटना में आरजेडी ने बाकी सभी सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मीटिंग की जिसमें तय किया गया कि कांग्रेस से कहा जाएगा कि वह तय समय सीमा में स्थिति साफ कर दे। वहीं, बिहार में गठबंधन के मसले पर कांग्रेस का कहना है कि यह कोई बड़ा मसला नहीं है और एक-दो सीटों पर पेच फंसा हुआ है जिसे 12 मार्च के बाद तुरंत सुलझा लिया जाएगा। राज्य में बीजेपी से कांग्रेस में गए कीर्ति आजाद की सीट पर भी सस्पेंस जारी है और अब सूत्रों के अनुसार उनकी सीट मुकेश सहनी को दी जा रही है। वैसे कांग्रेस ने अब तक इस सीट पर अपना दावा समाप्त नहीं किया है।