बिरसा मुंडा के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा: महेंद्र बैक
बिरसा मुंडा के शहादत दिवस को सरकारी अवकाश घोषित किया जाए : रमेश हेम्ब्रम
सरना धर्म कोड को लेकर आदिवासी समाज की अपेक्षाएं जगी है: मनोज टुडू हजारीबाग। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के अवसर पर हजारीबाग केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ और आदिवासी समाज के द्वारा शुक्रवार को सरकारी बस स्टैंड स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।केंद्रीय सरना समिति अध्यक्ष महेंद्र बैक ने भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते हुए कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी जननायक बिरसा मुंडा के बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने बिरसा मुंडा की शहादत दिवस को सरकारी अवकाश घोषित करने की राज्य सरकार से मांग किया।
सरना धर्म कोड को लेकर हो रही राजनीति पर राज्य सरकार व केंद्र सरकार पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासियों का अधिकार है लंबे समय से सरना धर्म कोड को लेकर आंदोलन किया जा रहा है मगर जिस प्रकार से राज्य सरकार सरना धर्म कोड का मामला केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया और केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए हैं निश्चित तौर पर इसका खामियाजा दोनों ही सरकार को भुगतना पड़ेगा आदिवासियों की लंबित मांग को अगर पूरा नहीं किया जाता है।
मनोज टुडू ने इस अवसर पर कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में भगवान बिरसा मुंडा ने अहम भूमिका निभाई अंग्रेजों के साथ आंदोलन में उनके दांत खट्टे कर दिए। बिरसा मुंडा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 ई. को खूंटी के उलीहातू में हुआ था। बिरसा मुंडा का पूरा नाम बिरसा पूर्ति (मुंडा) था। उन्होंने महज 25 साल की उम्र में स्वतन्त्रता आन्दोलन में जो कर दिखाया वह आज भी एक मिसाल है। बिरसा मुंडा का 9 जून 1900 ई. को रांची स्थित जेल में निधन हो गया।
झारखंड सहित पूरे देश में भगवान बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पूरे श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। मनोज टुडू ने आदिवासियों के लंबित मांग सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपेक्षाएं जताई कहा कि देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी है इससे भी आदिवासी समाज की अपेक्षाएं जगी है निश्चित तौर पर उनकी मांगे पूरी होंगी।रमेश हेम्ब्रम ने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के सपनों का झारखंड आज भी अधूरा है उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को याद दिलाते हुए राज्य सरकार से मांग किया कि उनको सम्मान देते हुए बिरसा मुंडा के शहादत दिवस को सरकारी अवकाश घोषित किया जाए।
इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति अध्यक्ष महेंद्र बैक, आल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू, रमेश कुमार हेंब्रम,सरना समिति जिला उपाध्यक्ष प्रीतम उरांव व महेंद्र टोप्पो,जगन कच्छप, आदिवासी छात्र संघ केंद्रीय उपाध्यक्ष सुशील ओड़ीया, महेंद्र टोप्पो,पीटर पाल टोप्पो, रतन केरकेट्टा,रतन उरांव, हरिलाल किस्कू, संतोष कच्छप,राजू उरांव, राकेश भगत, प्रदीप बेदिया सहित आदिवासी समाज के सैंकड़ों लोग शामिल हुए।