नेताओं के बयान चाहे कुछ भी आ रहे हों, लेकिन दिल्ली की राजनीति एक ही सवाल पर अटकी है कि क्या कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। 16 अप्रैल से नामांकन शुरू होने हैं और इस सवाल का जवाब अब क्लाइमैक्स के करीब है। कहानी में इतना ड्रामा आ चुका है कि कांग्रेस और AAP के नेता सातों सीटों पर लड़ने की बात कह रहे हैं लेकिन हालत यह है कि बीजेपी के नेता तक यकीन करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में गठबधंन को लेकर क्या होने वाला है, अगले कुछ घंटों या दिनों में, एनबीटी ने दोनों पार्टियों के नेताओं से बात करके तीन संभावित सीन निकाले हैं।
अभी जब गठबंधन की बात टूटने के कगार पर है तो 4-3 का रास्ता इसे शायद बचा सकता है, लेकिन इसके लिए दोनों में से किसी को झुकना होगा। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि हम केवल दिल्ली में चार-तीन के फॉर्म्यूले पर गठबंधन करने को तैयार थे, परंतु AAP नहीं मानी, लेकिन अगर वह अब भी इसके लिए तैयार होती है तो बातचीत हो सकती है। हमारे सूत्र कहते हैं कि एक ट्विस्ट भी हो सकता है, ओलंपियन सुशील कुमार का नाम भी कांग्रेस की तरफ से चल रहा है, क्या वह सातवीं सीट से कैंडिडेट हो सकते हैं।
इस विकल्प को कबूल कर लेने पर आम आदमी पार्टी आज भी तैयार है। उसका कहना था कि अगर केवल दिल्ली में कांग्रेस के साथ समझौता करना है तो वह 5-2 पर राजी है। लेकिन फिलहाल इसमें सबसे बड़ी दिक्कत है कि कांग्रेस तीन से कम सीटों पर तैयार नहीं हो रही है। पहला सवाल तो यह है कि क्या कांग्रेस गठबंधन को बचाने के लिए इस रास्ते को मानेगी। दूसरा सवाल है कि कांग्रेस इसे क्यों मानेगी, क्योंकि उसका तर्क है कि एमसीडी चुनाव में उसे 21 पर्सेंट वोट मिले हैं जो AAP से पांच पर्सेंट कम है, तो फिर वह दो ही सीट पर क्यों सिमटे? इस विकल्प पर सहमति बनी तो यह चमत्कार होगा।
नेताओं के बयानों को अगर सच मानें तो आसार हैं कि कांग्रेस और AAP अकेले सातों सीटों पर लड़ेंगे। AAP तो पहले ही सातों उम्मीदवार तय कर चुकी है और कांग्रेस ने भी चार के नाम पक्के कर लिए हैं तीन के लिए वह शक्ति ऐप से कार्यकर्ताओं की राय मांग रही है। AAP ने पिछले कुछ दिनों से सीटों पर भी प्रचार तेज कर दिया है, जो शायद वह कांग्रेस को देने के लिए तैयार थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से शीला दीक्षित को भी चुनाव में उतारने के संकेत मिले हैं, जिसका मतलब है कि वह भी अकेले लड़ने के हालात के लिए तैयार हैं। अगर पहले दो विकल्प पर बात नहीं बनीं तो जल्दी ही इसका ऐलान हो सकता है।