पंकज नाथ :
असम में मीडिया संगठनों ने गुरुवार को एक पत्रकार की धार्मिक पहचान को कथित तौर पर निशाना बनाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की कड़ी आलोचना की है । बता दें कि बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान, एक मुस्लिम पत्रकार शाह आलम ने सरमा से पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने उनके निर्वाचन क्षेत्र जालुकबारी के तहत आने वाले मंदाकाटा में पहाड़ियों को काटकर समतल करने के खिलाफ कोई कार्रवाई की है। अपनी प्रतिक्रिया में, सरमा ने आलम से कहा कि अगर उनके पास पहाड़ी काटने का वीडियो फुटेज है, तो यह कहते हुए अगर पहाड़ी कटाई है तो इसे रोकना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मंदाकटा पहाड़ी काटना गुवाहाटी में अचानक आई बाढ़ का कारण नहीं हो सकता। फिर उन्होंने अचानक पत्रकार से उसका नाम पूछा और जब पत्रकार ने अपना नाम शाह आलम बताया तो इसे गुवाहाटी के बाहरी इलाके में स्थित मेघालय के एक निजी विश्वविद्यालय USTM के मुस्लिम मालिक एवं -कुलपति के साथ जोड़कर टिप्पणी दिया। उन्होंने कहा कि “क्या भविष्य में असमिया राज्य में होंगे ? सबसे ज्यादा चर्चा वाला मुद्दा जनसांख्यिकीय परिवर्तन है, “सरमा ने हाल ही में गुवाहाटी में आई बाढ़ के लिए निजी विश्वविद्यालय को दोषी ठहराया था। बुधवार को मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह से पत्रकार की धार्मिक पहचान पर निशाना साधने पर असम के कई पत्रकार संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है। जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ असम ने आलम पर ‘निजी हमले’ के लिए उनकी आलोचना की है । “पत्रकार के सवालों का जवाब देने के बजाय, मुख्यमंत्री ने अपनी धार्मिक पहचान का हवाला दिया, “संघ ने अपने अध्यक्ष समीम सुल्ताना अहमद और महासचिव धनजीत कुमार दास द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर पत्रकार पर हमले की उम्मीद किसी मुख्यमंत्री से नहीं थी। गुवाहाटी प्रेस क्लब ने मीडिया से बातचीत के दौरान जब पत्रकार अपने काम के तहत सवाल पूछते हैं तो राजनीतिक नेताओं द्वारा अपमानजनक प्रतिक्रियाओं के बढ़ते उदाहरणों पर भी चिंता व्यक्त की। ” प्रेस क्लब की अध्यक्ष और महासचिव सुष्मिता गोस्वामी और संजय रय ने एक बयान में कहा कि “ताजा मामले में मुख्यमंत्री ने बिना किसी स्पष्ट प्रासंगिकता के एक पत्रकार की धार्मिक पहचान को संदर्भ में खींचा… हम सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और अपने पद के साथ-साथ मीडिया की भूमिका को भी गरिमा दिखाएं। जर्नलिस्ट एसोसिएशन फॉर असम के अध्यक्ष अभिदीप चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष पंकज डेका, मुख्य संगठन सचिव कुशल सैकिया और महासचिव कुंजा मोहन रॉय ने भी इसी तरह का बयान जारी करते हुए कहा कि किसी पत्रकार की धार्मिक या जातीय पहचान को मुद्दे में लाना कभी स्वीकार्य नहीं हो सकता। इसके अलावा रायजोर दल के प्रमुख तथा शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई ने भी सरमा पर निशाना साधा। उन्होने कहा, ‘यह सिर्फ शाह आलम का अपमान नहीं है, बल्कि समग्र मीडिया बिरादरी और मानवता का भी अपमान है। मुख्यमंत्री ने अपने दावों से साबित कर दिया है कि वह सांप्रदायिक व्यक्ति में से एक है। इस तरह से असम के कई पत्रकार संगठनों के साथ साथ समाज के सचेत लोगों ने ने मुख्यमंत्री द्वारा पत्रकार की धार्मिक पहचान पर निशाना साधने पर कड़ी विरोध किया है।