पुलिस बनाम छात्रों के विवाद ने नए सिरे से घुसपैठ मामले को सुर्खियों में ला दिया

मामले में जहाँ सत्तापक्ष तटस्थ दिख रहा है वहीं भाजपा इसे हाथों हाथ ले रही है

सुस्मित तिवारी

 पाकुड़ :- के के एम कालेज के छात्र संगठन व पुलिस के बीच का विवाद वैसे तो अब शांत होता जा रहा है, और होना भी चाहिए, लेकिन आसन्न विधानसभा चुनाव से पूर्व उठा यह प्रकरण जहाँ एक ओर सत्तापक्ष को असहज़ करता दिख रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे को भाजपा जैसे विपक्षी दल किसी भी हालत में हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं, यही कारण है कि भाजपा के नेता व कोई ना कोई प्रतिनिमंडल इस मामले में बयान जारी कर रहा है । इस विवाद ने नए सिरे से घुसपैठ के मामले को जीवित कर दिया है । जल जंगल जमीन व अपनी लोक संस्कृति के पक्ष में लड़ने वाले आदिवासी समुदाय की ओर से कभी भी बांगलादेशी घुसपैठ के खिलाफ मुखर आवाज नही उठाई गई थी, परंतु महेशपुर के गायबथान के मामले ने आदिवासी समुदाय के अंदर भी अब घुसपैठ के खिलाफ आवाज उठने लगी है । गौरतलब हो कि पाकुड़ एक सिमाई जिला व ईलाका है जहाँ बांगलादेशियों के घुसपैठ की समस्या हमेशा से एक मुद्दा रहा है जिसे भाजपा ने पुरजोर तरीके से उठाने का काम किया है । अभी विगत दिनों ही गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में घुसपैठ की समस्या पर अपने बयान को रखा था, तो वहीं दूसरी तरफ राजमहल लोकसभा के सांसद विजय हाँसदा ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए कहा था कि भाजपा को जहाँ वोट नही मिलता है वो वहाँ घुसपैठ का राग अलापने लगती है । आदिवासी से जुड़े इस मामले में कई समाजसेवी भी रहनुमाई पेश कर रहे हैं । पिछले दिनो  समाजसेवी जयश्री सोरेन ने भी पाकुड़ पहुँचकर इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय देते हुए, महेशपुर घटना को घुसपैठियों से जोड़ते हुए वर्तमान सरकार को कटघरे में खडा कर चुकी हैं । बकौल जयश्री सोरेन, पाकुड़ में हाल ही में जो घटना घटी, जिसमें हमारे आदिवासी समुदाय के लड़कों को 200 पुलिसकर्मियों द्वारा पीटा गया, वह न केवल निंदनीय है बल्कि अत्यंत दुखद और अस्वीकार्य भी है। इस घटना ने हमारे समाज को गहरे सदमे और आक्रोश में डाल दिया है।

मैं,जयंश्री सोरेन, इसी आदिवासी समुदाय की सदस्य होने के नाते, इस बर्बरता की कड़ी निंदा करती हूँ। यह घटना हमारे समुदाय के साथ हो रहे अत्याचारों और भेदभाव को उजागर करती है। हमारे बच्चों के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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