संतोष कुमार दास
चतरा : 23 जुलाई 2024 चतरा जिला के लावालोंग प्रखण्ड के हेडुम गांव के निवासी पिछले 75 वर्षों से बिजली के अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं। आजादी के इतने साल बाद भी इस गांव में बिजली न पहुंचने की समस्या का हल न निकलना एक गंभीर मुद्दा है। ग्रामीणों द्वारा कई बार बिजली विभाग और सरकार से बिजली की मांग की गई, लेकिन उनकी गुहार अनसुनी रह गई। हेडुम गांव के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अनेकों बार आवेदन दिए, अखबारों में प्रकाशित, न्यूज मीडिया और जनप्रतिनिधियों में मुख्य रुप से 20 सूत्री प्रखण्ड अध्यक्ष छठू सिंह भोगता, कामख्या सिंह भोगता, गुल्ली सिंह भोगता, बसंत विश्वकर्मा, बिरजू गझू, नारायण राम, हेडूम पंचायत मुखिया संतोष राम, भुनेश्वर तूरी एवम् मनोज राम ने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। ग्रामीणों ने बताया कि बिजली के अभाव के कारण उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। बच्चे रात में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं बच्चे ढिबरी में पढ़ने से विवश, और महिलाएं घर के कामकाज में कठिनाई का सामना कर रही हैं। इसके अलावा, बिजली की कमी के कारण गांव में आर्थिक विकास भी ठप हो गया है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं, हमने अपनी पूरी जिंदगी बिजली के बिना बिताई है। हमने उम्मीद की थी कि हमारी अगली पीढ़ी इस समस्या से छुटकारा पाएगी, लेकिन अब लगता है कि हमारी उम्मीदें भी धुंधली हो गई हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई बार बिजली की मांग को लेकर आवेदन किए, लेकिन किसी भी आवेदन का कोई परिणाम नहीं निकला। इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है, यह एक बड़ा सवाल है। सरकार के संबंधित विभागों की निष्क्रियता और उदासीनता ने ग्रामीणों को निराश किया है। ग्रामीण विकास और बिजली विभाग की आपसी तालमेल की कमी और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में कमी इस स्थिति के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार मानी जा सकती है। इस क्षेत्र के विधायक सांसद और मंत्री मौन लेकिन ग्रामीण के पहल के बावजूद भी विभागीय प्रक्रियाओं और तकनीकी समस्याओं के कारण इस मुद्दे का समाधान नहीं हो सका। वहीं बिजली विभाग के अधिकारी के यहां आवेदन दब्बे हुए हैं।अधिकारी यह कहते हैं कि गांव की भौगोलिक स्थिति सेंचुरी (WILD LIFE) क्षेत्र में है जबकि हक्कित यह है की हेडुम गांव के बगल के गांव आराआतु, बांदू, जोजवारी और ओरी में बिजली उपल्ब्ध है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ये सिर्फ बहाने हैं और सरकार अगर चाहे तो इस समस्या का समाधान जल्दी कर सकती है। उनका मानना है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और यह उनकी उपेक्षा का जीता-जागता प्रमाण है।हेडुम गांव के ग्रामीणों की उम्मीदें अब भी जीवित हैं, और वे विश्वास करते हैं कि एक दिन उनकी समस्याओं का समाधान अवश्य होगा। गांव के युवा आशीष कुमार, मुखिया प्रत्याशी उमेश राम, दीपू ठाकुर एवम् चंद्रदेव राम कहते हैं, हम हार नहीं मानेंगे। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी समस्याओं को गंभीरता से लेगी और जल्द ही हमारे गांव में बिजली की व्यवस्था बहाल करेगी।सरकार और संबंधित विभागों को इस समस्या पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और हेडुम गांव के निवासियों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करना चाहिए। यह आवश्यक है कि बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ सभी नागरिकों तक पहुंचे, ताकि वे एक सम्मानजनक और बेहतर जीवन जी सकें।