रिपोर्ट अविनाश मंडल
पाकुड़: इन दिनों कोयला कंपनियों की मनमानी आए दिन देखने को मिल जायेगी। सड़कों पर सैकड़ो गाड़ियां हर दिन कोयला लेकर गुजरती है लेकिन नियमों का उल्लंघन धरले होती है जिस पर नहीं कोयला कंपनी या जिला प्रशासन संज्ञान लेती है। एक तो क्षमता से ज्यादा कोयला लाकर चलना साथ में किसी भी हाईवे के ऊपर ट्रिपल से कोयला ढाका ना होना मतलब नियमों को तक पर रखकर सड़कों पर दौड़ना। इससे रफ्तार में चलती हाइवा से कोयला के धूल आस पास के ग्रामीणों को बीमार की और धकेल रही है। कोयला के कण से ग्रामीण बीमार भी पड़ते है और सड़क पर चल रहे राहगीरों को भी काफी परेशानी होती है। कोयला मोड़ पर हर दिन ऐसे सैंकड़ों हाइवा देखने को मिल जायेगा, ओवरलोड मतलब सरकार के राजस्व में शेंद और अपनी जेब भरना, जिसपर जिला परिवहन विभाग मौन रहती है। वैसे कभी कभी छापेमारी कर विभाग अपनी खानापूर्ति करते पीछे नहीं हटती है। कोयला सड़क किनारे अगर पेड़ पौधे को देखा जाए तो सभी कोयला के धूल के कारण काला हो जाते है, आस पास के ग्रामीणों के घर के दीवार और छत भी काली रंग में तब्दील हो जाते है। इस सड़क से गुजरने वाले राहगीर भी अपने गंतव्य पहुंच कर काला हो जाते है। ऐसे इस्तीथी में नियमो का पालन भी नही होती है। जरूरत है इस संबंध में जिला प्रशासन को संज्ञान लेने की ताकि पर्यवरहन का उल्लंघन न हो और लोग बीमारी से बच पाए।