कौड़िया मनरेगा योजनाओं में भारी धांधली के बाद लाखो रुपए की निकासी

धरातल पर कार्य बहुत कम  कराकर रोजगार सेवक ने निकलवाई राशि

संवाददाता मोहम्मद शमीम उंटारी रोड

विश्रामपुर. पलामू:पलामू जिला के विश्रामपुर प्रखंड अंतर्गत सबसे पिछडी पंचायत घासीदाग जो जंगलो पहाडो से घिरा है आए दिन पैसा गबन का मामला सुर्खियों में होता है ।प्रतिदिन खबरे संचालित होने के बाद भी एक दो सप्ताह तक नियम-संगत कार्य कराया जाता है फिर वही हाल होने लगता है।हाल के दिनो में एक डोभा निर्माण में जबरदस्त धांधली व राशि गबन का मामला प्रकाश में आया है ।समुद्री देवी के खेत में 80*80का मनरेगा से डोभा निर्माण की खुदाई करानी थी जो महज एक या दो फीट खुदाई कर 118404₹की निकासी की गई। महज 15से 20हजार का भी काम धरातल पर नहीं हुआ और निकासी लाखो में की गई। सबसे प्रमुख वाक्या तब घटी जब ग्रामीणों ने ही बिरोध करना शुरु किया क्योकि डोभा के लिए स्थल का जो चयन किया गया वो किसी भी दृष्टीकोण से ठीक नही एक तरफ रास्ता जो कौड़िया के लोगो को विश्रामपुर प्रखंड मुख्यालय से जोड़ती है वहीं दूसरी तरफ पहाड जो वन विभाग से बीना परमीशन लिए हीं शायद कार्य कराया गया ग्रामीणो का बिरोध इसलिए मुखर था क्योकि दर्जनो गाडिया उसी रास्ते प्रतिदिन प्रखंड व जिला मुख्यालय के लिए निकलती है तो ऐसे में उक्त जगह पर डोभा होने से कभी भी दुर्घटना का भय बना रहेगा ।हालांकि संबंधित रोजगार सेवक ने ग्रामीणों को कुछ पैसा देकर मुंह बंद कराया ।एक वार्ड सदस्य ने बताया की रोजगार सेवक का पहुंच प्रखंड में बेहतर है तभी तो बार बार बदलकर कमाने के लिए घासीदाग पंचायत आता रहा।वार्ड सदस्य ने यह भी बताया की घासीदाग में रोजगार सेवक मनमानी करता है उसे पंचायत के मुखिया से भी नहीं बनता मुखिया कितनी बार इसकी मौखिक व लिखित शिकायत भी कर चुकी है फिर भी पंचायत में बना रहता है।कौड़िया के ग्रामीणों ने बताया की रोजगार सेवक की कार्यप्रणाली ठीक नही वो वैसे हीं लोगो को मनरेगा कार्यो से जोडता है जो उसे पैसा दे सके अन्यथा उसे योजना दिलाने में कोताही बरतता है।यहां बताते चले की मनरेगा योजना स्वीकृत होने के बाद कई ऑनलाइन प्रक्रिया से गुजरने के बाद रोजगार सेवक स्थल का जियोटैग करता है जिसमें बीपीओ को मिनट दर मिनट की संपूर्ण जानकारी रखनी होती है बीपीओ का कार्य पंचायत में घुमकर योजनाओं का क्रियान्वयन करना होता है ना की प्रखंड कार्यालय में बैठकर राजनीति और दर्जनों लोग से मिलकर हालचाल। जियोटैग के बाद मेठ प्रतिदिन योजना का निरिक्षण कर बेहतर कार्य कराते हैं फिर कार्य को देखकर कार्य के अनुरुप जेई मापी पुस्तिका का संधारण करते हैं और इन सबकी जबाबदेही बीपीओ का होता है किन योजनाओं में योजनाबोर्ड लगा है नहीं लगा है धरातल पर कार्य क्या है लेकिन दुर्भाग्य है कि सबका 5%कमीशन बंधा है जिससे टेबल पर हीं कार्य को निपटा दिया जाता है।एक रोजगार सेवक मनरेगा योजनाओं में ज्यादा जवाबदेह होता है।कौड़िया की योजना में योजनाबोर्ड भी नहीं दिख रहा।अब यक्ष प्रश्न यह है कि विश्रामपुर बीडीओ इसपर तत्काल संज्ञान लेकर क्या कारवाई करते हैं या ग्रामीण उप विकास आयुक्त या पलामू उपायुक्त से मिलकर गबन का मामला उठायेंगे।

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