आदिवासी केंद्रीय सरना समिति, यंगब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा शुक्रवार को सरहुल मैदान धूमकुरिया एवं पुराना बस स्टैंड स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा में फूल माला अर्पित किया गया। साथ ही साथ बिरसा मुंडा का सपना था कि सभी आदिवासी सरना धर्म के प्रति जागरूक हो और आपने शहर अखाड़ा, पूजा स्थल सभी को साफ सफाई सुंदर कर अपनी आस्था के प्रति जागरूक करें।
धरती आबा बिरसा मुंडा के सपनों को पूरा करने के लिए सरना स्थल को सुंदर बनाने के लिए आज से बच्चों ने फुटबॉल खेल खेलकर शहर अखाड़ा सरहुल मैदान को पूर्णरूपेण साफ-सफाई का दृढ़ संकल्पित करते हुए शहादत दिवस मनाई गई।यंगब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट्स यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष ने बिरसा मुंडा की जीवनी पर संक्षिप्त रूप से अपने समाज को बचाने के लिए संघर्ष की बातों को रखा।
जन्म धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 18 75 ईस्वी को खूंटी जिले के उलिहातु ग्राम में हुआ था।पिता सुगना मुंडा और माता का नाम करमी था।आंदोलन1 अक्टूबर 18 94 को किसानों पर लगाए गए कर माफी के लिए अंग्रेजों जमींदारों के खिलाफ आंदोलन किया।खूंटी जिले के डोंगरी पहाड़ में लाखों आदिवासियों को इकट्ठा कर संबोधित करता था और अंग्रेजों की कर माफी के लिए उलगुलान का ऐलान किया।1897 ईसवी को अपने दोस्तों के साथ तीर धनुष से लेस खूंटी थाना में धावा बोल दिया और और खूंटी थाना को आग लगा दिया।
इनके नेतृत्व इनके जोश और इनके जुनून को देखकर सभी लोग इन्हें धरती पुत्र धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा कहकर पुकारने लगे।अंग्रेजी द्वारा गिरफ्तारी1980 में चक्रधरपुर के जमको पाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें अहिंसा और लोगों को भड़काने के जुर्म में 2 साल की सजा सुनाई गई इस सजा के क्रम में कुछ साल रांची से हजारीबाग मैं भी रहे और फिर अंतिम साल में पुण रांची जेल रखा गया परंतु अंग्रेजों द्वारा ने इन्हें जहर देकर मार दिया गया।
मृत्युअपने आदिवासियों के हक अधिकार की लड़ाई लड़ते-लड़ते बिरसा कारागार रांची में इनकी मृत्यु हो गई 9 जून 1900 में.मनोज टूटू ने बताया कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जीवनी से प्रेरणा मिलती है कि कठिन से कठिन विपरीत परिस्थिति में भी धारणा खोना और अपने हक अधिकार के लिए हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना।और युद्ध की तैयारी के लिए लोगों को संगठित एवं जागरूक सदैव करते रहना।
आज आदिवासी लोग अपनी जमीन को बचाने में बिरसा मुंडा की देन है की हमें सीएनटी एक्ट जैसा सुरक्षा कवच मिला उनके कवच के वजह से आज भी हमारा वजूद कायम है वरना हम लोग का अस्तित्व वजूद खो जाता ऐसे महान शख्स को भगवान कहना गर्व की बात है।वर्तमान समय में भी हमारे बीच हक अधिकार छीने जा रहे हैं छीनने का प्रयास चल रहा है
भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के रक्षा के लिए बहुत संघर्ष किया और हक अधिकार दिलाया और सीकर में युवाओं को भी आदिवासियों के हक अधिकार के लिए लड़ने के लिए तैयार रहने की अपील की हैबिरसा मुंडा ने सरना धर्म के प्रति लोगों को जागरूक किया और इन्हीं की शहादत दिवस में अपने धर्म स्थल को सुरक्षित सुंदर बनाने के लिए आज फुटबॉल खेल का शुभारंभ किया गया बच्चों द्वारा ताकि आने वाले समय में हमारा यह सरहूल मैदान साफ स्वच्छ एवं सुंदर हैं जैसा सभी के धार्मिक स्थल होते हैं।