नोटों की गुलाबी गड्डियों के बदले अपने दोस्तों को टेंडर देना केजरीवाल के राजनीति का अहम हिस्सा-गौरव भाटिया
दिल्ली, 11 सितम्बर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता और विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने एक संयुक्त प्रेसवार्ता कर दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद में किये भ्रष्टाचार में सीबीआई जांच के आदेश जारी करने के लिए उपराज्यपाल के आदेश का स्वागत किया। प्रेसवार्ता में भाजपा नेताओं ने नियमों को ताख पर रखकर औए सीवीसी रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए बसों के दिये टेंडर पर सवाल खड़े किये और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इस पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग की। प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आर पी सिंह, राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रमुख संजय मयूख और प्रदेश मीडिया रिलेशन के प्रभारी हरीश खुराना भी उपस्थित थे।
गौरव भाटिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार आज देश भर में अपनी पहचान एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में बना चुकी है। नोटों की गुलाबी गड्डियो के बदले टेंडर देना केजरीवाल की राजनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। दिल्ली के इतिहास में पहली बार हुआ है जब डीटीसी का चेयरमैन ऐसे आदमी को बनाया गया है जो पॉलिटिकल पार्टी से ताल्लुक रखता हो। उन्होंने आरोप लगाया कि लो फ्लोर बसों का टेंडर की बात केजरीवाल ने एल-1 कंपनी से करने की बजाय अपने खास लोगों की जेबीएम कम्पनी को टेंडर दिया ताकि मोटी कमाई होने में कोई समस्या न हो। जिसका भाजपा ने विधानसभा के अंदर और बाहर विरोध किया। लेकिन अपनी आदत से मजबूर केजरीवाल और उनकी पार्टी हर बार अपने ऊपर लगे आरोप पर जवाब देने की बजाय मुद्दे को भटकाने का काम किया।
गौरव भाटिया ने कहा कि टेंडर जब दिया गया तो उसमें भी भारी गड़बड़ी पाई गई। नई बसों की खरीद के साथ ही तीन साल तक मेंटेनेंस तो उस टेंडर के साथ ही मुफ्त होता है लेकिन केजरीवाल ने अतिरिक्त मरम्मत शुल्क देने की बात कही ताकि वह पैसा घुमा फिराकर उनकी जेब में आ सके। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी कह रही है कि जब बस आई नहीं तो घोटाला कैसे हुआ जबकि हकीकत यह है कि जैसे ही इसके बारे में विरोध होना शुरू हुआ केजरीवाल ने बस के ऑर्डर पर रोक लगा दी। जबकि इसके पीछे की वसूली और भ्रष्टाचार के पैसे केजरीवाल की तिजोरी में पहुँच चुका था।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार स्वराज से शराब और फिर शराब से भ्रष्टाचार में इतनी डूब चुकी है कि अब उसे किसी की चिंता नहीं है। केजरीवाल का कोई भी काम बिना भ्रष्टाचार के नहीं होता। उसी कड़ी में एक और मामला लो फ्लोर बसों की खरीद फरोख्त में किया गया घोटाला भी जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सीवीसी नहीं मानते बल्कि वे मानते हैं सिर्फ ’डीसीसी’ मतलब डायरेक्ट कैश कलेक्शन। आप का पाप सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहना है। केजरीवाल के लिए स्कीम से स्कैम तक का सफर काफी आसान हो गया है।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की जनता पिछले आठ सालों से केजरीवाल के झूठ और बेबुनियादी वायदों के पूरा होने का इंतजार करते-करते अब उम्मीद खो चुकी है और इसलिए उसने अब आम आदमी पार्टी को दिल्ली से उखाड़ फेंकने का संकल्प ले चुकी है। आज लो फ्लोर बसों में घोटाला सामने आ गया तो आम आदमी पार्टी कह रही है कि हमने तो बस ही नहीं खरीदी। कुछ ऐसा ही हाल आबकारी नीति के वक्त भी था। उन्होने कहा कि आबकारी नीति लागू करने से पहले आम आदमी पार्टी चीख-चीख कर बता रही थी कि यह दिल्ली के राजस्व को फायदा पहुँचाने वाली नीति है और जब इसपर जांच बैठी तो इसे तुरंत वापस ले लिया। जब फायदे की नीति थी तो केजरीवाल ने इसे वापस क्यों ले लिया।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की भ्रष्टाचार वाली नियत इसी से समझी जा सकती है कि सरकार ने बस खरीदी लेकिन उसके दो मालिक बनाये गए एक दिल्ली सरकार और दूसरा जेबीएम कम्पनी। इसके साथ ही बस, सीएनजी, कंडक्टर सब कुछ सरकार का लेकिन जेबीएम को सरकार मेंटेनेंस के नाम पर 35,00 रुपये प्रतिदिन देगी। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव खुद मीटिंग में कहते रहे कि जेबीएम को हम ऑर्डर नहीं दे सकते क्योंकि इसमें पूरा घोटाला है, लेकिन दबाव बनाया गया और जब बात नहीं बनी तो उसे दबा दिया गया।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि बस की कीमत 870 करोड़ रुपये लेकिन उसकी मरम्मत के नाम पर 3500 करोड़ रुपये निजी कंपनी को देने की बात तय हुई। मतलब ये बस, कंडक्टर, डिपो, सीएनजी और अन्य सब कुछ दिल्ली सरकार की लेकिन सिर्फ इसकी मरम्मत के लिए निजी कंपनी को 3500 करोड़ रुपये दिए गए जो पूरे टेंडर से चार गुना ज्यादा है।