ज्योति भास्कर
बेंगलुरु : दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर करप्शन के आरोपों को लेकर अटैकिंग मोड में दिख रही भाजपा उस समय बैकफुट पर आ गई जब बीजेपी शासित कर्नाटक सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोप इसलिए भी गंभीर हैं क्योंकि किसी एक-दो सियासी लोगों ने भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगाए, बल्कि पूरे 13 हजार स्कूलों की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।
जानिए क्या है पूरा मामला :कर्नाटक के कम से कम 13,000 स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो संघों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। स्कूलों से पीएम मोदी को लेटर में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। बच्चों और उनके अभिभावकों पर बढ़ रहे फीस के बोझ का जिक्र कर, लेटर में कहा गया, शिक्षा के व्यसायीकरण के कारण माता-पिता पर प्रति बच्चे अधिक शुल्क का बोझ बढ़ रहा है।
प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के एसोसिएटेड मैनेजमेंट और द रजिस्टर्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने पीएम मोदी से जांच की मांग की है। पत्र में कर्नाटक के शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मांगी जा रही कथित रिश्वत पर गौर करने का आग्रह किया गया है।
पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कर्नाटक के स्कूलों की ओर से कहा गया है, “अवैज्ञानिक, तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और गैर-अनुपालन मानदंड केवल गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होते हैं और भारी भ्रष्टाचार होता है।” संघों ने दावा किया कि राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के पास की गई शिकायतें और दलीलें अनसुनी हो गईं। नागेश के इस्तीफे की मांग भी की गई।
कर्नाटक से पीएम को पत्र भेजा गया जिसमें शिकायत की गई, “शिक्षा मंत्रालय पूरी प्रणाली की वास्तविक दयनीय स्थिति को सुनने और समझने और मुद्दों को हल करने के लिए तैयार ही नहीं है। भाजपा के दो अलग-अलग मंत्रियों ने सचमुच उन स्कूलों के बजाय बजट स्कूलों को बहुत नुकसान पहुंचाया है जो अधिक से अधिक निवेशकों को अनुमति देकर शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे हैं।
स्कूल संघों ने यह भी आरोप लगाया कि नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत के बावजूद सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकें अभी भी स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं। पत्र में लिखा गया, “शिक्षा मंत्री को कठोर मानदंडों को उदार बनाने और नियमों और विनियमों को बनाने की कोई चिंता नहीं है।” स्कूल संघों का आरोप है कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता और छात्रों पर बोझ डाले बिना व्यावहारिक रूप से नियमों को लागू किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। पत्र में पीएम मोदी से आरोपों को गंभीरता से देखने और कर्नाटक शिक्षा मंत्रालय के मामलों की जांच शुरू करने का आग्रह किया है