*श्रावणी मेले में कई दुकानों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को बाल श्रम के शिकार को लेकर*
आदिवासी एक्सप्रेस संवाददाता/ दिवाकर कुमार
देवघर: विश्व प्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेला, 2022 के दौरान साकारात्मक दृष्टिकोण से बालश्रम, बाल शोषण,
साधारण शब्दों में समझाया जाए तो जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, उन्हें काम में लगाकर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर, कम रुपयों में काम करा कर शोषण करके, उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना ही बाल श्रम है, बाल दुर्व्यवहार से बच्चों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के उदेश्य से देवघर के जिला प्रशासन द्वारा एक अच्छी पहल। प्रोजेक्ट पंछी के तहत जिला टास्क फोर्स द्वारा शहर के अलग-अलग जगहों पर जाकर ऐसे बच्चों को चिन्हित करते हैं जो जोखिम भरे काम कर रहे हैं या बाल श्रम के शिकार हैं। इसके अलावे अबतक जिला टास्क फोर्स द्वारा मेला क्षेत्र से 12 बच्चों का बचाव एवं 36 बच्चों के अभिभावकों का काउंसलिंग किया गया हैं।