विशेष प्रतिनिधि द्वारा
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गूगल मीट के जरिये ममतामयी साहित्य अकादमी झारखंड ने ‘परिवार और समाज की केन्द्र बिन्दु : महिलाएँ’ विषय पर मंगलवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया उक्त विषय पर डा. ममता बनर्जी मंजरी की प्रस्तावना के उपरांत अकादमी की वरिष्ठ सदस्य स्नेहाप्रभा पांडे ने बेटियों के सुरक्षित रहने की बात कहती हुई मौजूदा परिदृश्य में घट रही घटनाओं पर गहरी संवेदना व्यक्त की इस परिचर्चा हेतु में युवा लेखक व स्तम्भकार उमेश प्रसाद को भी आमन्त्रित किया गया l
*समाज की एक सशक्त कड़ी* :डा. रजनी मल्होत्रा नैयर ने महिलाओं के शिक्षित होने के साथ स्वावलंबी होने की बात कहीं, मंजू शरण मंजुल ने महिलाओं द्वारा पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोने की कला को सहारा, अनुराधा सिंह व पूनम सहाय ने परिवार के एक-एक सदस्य की मोती की संज्ञा देकर महिलाओं को मोतियों को बांधने वाला धागा बताया, रीना सिन्हा ने कहा महिलाएँ ही परिवारों में संस्कारों के बीज बोती है तो किरण कुमारी ने महिलाओं द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में निभाई जाने वाली जिम्मेदारी की तारीफ की, डा. संगीत नाथ ने कहा कि महिलाएं न सिर्फ परिवार को संबल प्रदान करने के साथ नयी ऊर्जा और ताजगी देती है, बल्कि वह समाज की एक मजबूत कड़ी होती है.
*परिवार और समाज की कड़ी* : युवा लेखक उमेश प्रसाद ने महिला को समाज का स्तम्भ बताया जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है वह जो बच्चे की एक मुस्कान पर अपने सौ दु:खों को न्यौछावर कर देती है और वर्तमान मे भारतीय नारी प्रगति के सोपान गढ़ रही है तो वहीं आज भी महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा जैसी घटनाओं को लेकर श्री प्रसाद ने चिंता जताया जबकि अनुपमा तिवारी ने बदलते वक्त मे नारी शक्ति से लोगों को परिचित कराया,गीता चौबे गुंज ने स्त्री की तुलना पतंग से की और रूणा रश्मि दीप्त ने विभिन्न कालखंडों में समाज में नारी की दशा का चित्रण किया.रंजना वर्मा उन्मुक्त ने सामाजिक और भावनात्मक परिप्रेक्ष्य में महिलाएं परिवार और समाज के केंद्र बिंदु होने की बात कही. ममता मनीष सिन्हा ने स्त्री की प्रथमा बुद्ध की संज्ञा दी, अनुराधा सिंह ने नारी को पूरे समाज का गरिमामयी मंच निर्मात्री,पुष्पा पांडे ने पुरुष का अस्तित्व नारी मे समाहित होने की बात कही और बिंदु प्रसाद ने महिला शिक्षा पर जोर दिया इनके अलावे कुमार रवि, सुरजीत झा, नवीन कुमार ,डा.आकांक्षा चौधरी, खुशबू बरनवाल ,रामरंजन कुमार सिंह, कात्यायनी प्रसाद, रीना गुप्ता, और महेश अमन ने भी अपने विचार व्यक्त कियें.