News Agency : हरियाणा सरकार इन दिनों रेप के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की परोल पर स्थिति साफ न करने को लेकर आलोचना का शिकार हो रही है। सरकार के लिए डेरा प्रमुख को परोल देना कतई भी आसान नहीं होगा। पिछले महीने ही पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा प्रमुख की रिहाई को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इससे ‘कानून व्यवस्था की समस्या’ पैदा हो सकती है। गुरमीत ने दो हफ्ते पहले सिरसा में खेती करने के लिए 42 दिनो की परोल की मांग की है, बता दें कि सिरसा में ही डेरा का मुख्यालय भी है। पंजाब जेल मैन्युअल के मुताबिक खेती के लिए परोल मांगी जा सकती है, यह नियम हरियाणा में भी लागू होता है। रोहतक की सुनेरिया जेल के सुप्रींटेंडेंट ने गुरमीत की परोल की याचिका को हिसार डिविजन के कमिश्नर को बढ़ाया है। सरकार का कहना है कि वह उचित समय पर इस मामले पर कोई भी फैसला लेगी। मंगलवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘जेल नियमावली के मुताबिक, परोल सभी दोषियों का अधिकार है। एक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए। इस मामले में फैसला कमिश्नर को करना है। कमिश्नर डेप्युटी कमिश्नर और सुप्रींटेंडेंट से विमर्श करने के बाद ही कोई फैसला लेंगे। कोर्ट भी इस मामले पर पूरी नजर रख रही है।’ खट्टर ने कहा कि इस मामले में कोई भी फैसला लेते समय पूरी सावधानी बरती जाएगी और इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारी नियमों को अच्छी तरह जानते हैं। हालांकि, जस्टिस कुलदीप ने 10 मई को परोल की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा था, ‘गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ गंभीर मामला है,
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