पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर पीएम नरेंद्र मोदी का बयान सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक छाया हुआ है. उत्तर प्रदेश के बस्ती में पीएम मोदी ने कहा था, ”आपके पिताजी को आपके राग दरबारियों ने मिस्टर क्लीन बना दिया था. गाजे-बाजे के साथ मिस्टर क्लीन मिस्टर क्लीन चला था. लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया.”
मोदी का इशारा राहुल गांधी की तरफ़ था, जिनके पिता राजीव गांधी की 20 मई 1991 को चरमपंथी हमले में मौत हो गई थी.
मोदी के बयान पर राहुल गांधी ने जवाब दिया, ”मोदीजी, लड़ाई ख़त्म हो चुकी है. आपके कर्म आपका इंतज़ार कर रहे हैं. खुद को लेकर अपनी सोच को मेरे पिता पर थोपना भी आपको नहीं बचा पाएगा. सप्रेम झप्पी के साथ. राहुल.”
चुनावी प्रचार में एक-दूसरे को लेकर निजी हमले पहले भी होते रहे हैं. लेकिन मोदी के इस बयान की एक बड़ी संख्या में आम लोग आलोचना कर रहे हैं. इस सवाल पर हमें कुछ ही घंटों में हज़ारों प्रतिक्रियाएं मिलीं. हम आपको कुछ प्रतिक्रियाएं पढ़वा रहे हैं.
एजे पटेल ने लिखा, ”बुरे से बुरा इंसान दुनिया से जा चुके इंसान के बारे में सिर्फ़ इतना कहता है कि ऊपर वाला माफ़ करे. पता नहीं ये कौन सी पाठशाल के विद्यार्थी हैं.”अनुज यदुवंशी लिखते हैं, ”एक बेटा जो अपनी 90 साल की मां को बैंक की लाइन में लगवा सकता है ताकि दूसरों की सहानुभूति पा सके. वो किसी दूसरे के मां-पिता की क्या ही इज़्ज़त करेगा.”
अखिलेश त्रिपाठी ने लिखा, ”ये भी याद रहे कि अटल सरकार के दौरान ही राजीव गांधी का नाम चार्जशीट से हटा. इस वजह से ये बयान बेतुका और हताशा का परिचय देता जान पड़ता है.”
चंद्र शेखर जोशी ने प्रतिक्रिया दी, ”पांच साल अगर कुछ काम किया होता तो ये सब कहने की ज़रूरत न होती.” उमेश चंद्र लिखते हैं, ”ऐसा हर शख़्स जो कभी राजीव गांधी से मिला होगा वो ये ज़रूर मानेगा कि राजीव एक कमाल की शख्सियत थे.”
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मोदी के राजीव गांधी पर दिए बयान को सही ठहरा रहे हैं. द ओल्ड मोंक नाम के यूज़र ने ट्वीट किया, ”सच्चाई थोड़ी कड़वी होती है. राहुल गांधी को देर से समझ आई.”
अमर राजपूत ने लिखा, ”अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री के लिए ‘चौकीदार चोर है’ जैसी बात कर सकते हैं तो उन्हें अपने पिता को भी देखना चाहिए कि वो क्या कर चुके थे.”
निखिल मिश्रा लिखते हैं, ”कुछ ग़लत नहीं बोला. राजीव गांधी का दामन साफ़ नहीं था. मौत न तो आपको महान बना सकती है और न ही आपके कर्मों पर पर्दा डाल सकती है.”नरेश कुमार ने लिखा, ”मोदी जी कभी भी झूठ नहीं बोलते. उन्होंने कहा है तो सही ही कहा होगा.”
मृणाली वर्मा लिखती हैं, ”मोदी ने जो कुछ भी कहा है. सही कहा है. कुछ भी ग़लत नहीं कहा.” भूपेंद्र सिंह ने लिखा, ”मेरी देशवासियों से गुजारिश है कि पहले अच्छे से इतिहास की पढ़ाई कर लें. तब किसी को लेकर अपना कोई नज़रिया बनाएं.”
64 करोड़ रुपए की कथित रिश्वत के बोफोर्स मामले में दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में राजीव गांधी पर कोई आरोप साबित नहीं हो पाया.
राजीव गांधी की मौत के बाद वीपी सिंह वाले जनता दल मोर्चे के क़रीब तीन और उसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी के क़रीब पांच साल के शासन में इस मामले में ऐसा कुछ साबित नहीं हो पाया था.
वाजपेयी की सरकार के दौरान ही राजीव गांधी का नाम बोफोर्स की चार्जशीट से हटाया गया था. अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करने वाले मोदी आज भले ही राजीव गांधी पर हमला कर रहे हैं. लेकिन इन दो दिवंगत नेताओं के बीच कैसे रिश्ते रहे थे, इसकी झलक आपको उल्लेख एनपी की किताब द अनटोल्ड वाजपेयी में मिल सकती है.
किताब में वाजपेयी के एक इंटरव्यू के हवाले से इस बारे में जानकारी दी गई है. वाजपेयी के मुताबिक़, ‘जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें पता चला कि मुझे किडनी की दिक़्क़त है. एक दिन उन्होंने मुझे अपने दफ़्तर बुलाया और कहा कि वो मुझे संयुक्त राष्ट्र में भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि मैं इस मौक़े का इस्तेमाल अपने इलाज के लिए करूंगा. मैं न्यूयॉर्क गया. ये एक वजह है, जिसके चलते आज मैं ज़िंदा हूं.”