News Agency : सिंहासन खाली करो की जनता आती है। दिल्ली के रामलीला मैदान से बिहार के बेटे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता लोकनायक जय प्रकाश नारायण के मुख से फूटी तो one सफदरजंग रोड पर बैठी इंदिरा गांधी की गद्दी हिल गयी थी। आंदोलन की यह भूमि बिहार इतिहास के पन्नों पर नया अध्याय लिखने में हमेशा आगे रहा है। लोकसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही बिहार में भी सबसे बड़े राजनीतिक लड़ाई के लिए जमीं सजी हुई है।
बिहार में चुनाव की शुरुआत तो पहले ही हो गयी थी जब four लोकसभा सीटों के लिए eleven अप्रैल को मतदान हुए थे। बिहार की चुनावी राजनीति खासकर लोकसभा के बारे में चर्चा इसलिए भी है क्योंकि इस प्रदेश की forty सीटों के लिए सातों चरणों में चुनाव होना है। लेकिन twenty nine अप्रैल को यानि चौथा चरण में बिहार की five सीटों पर चुनाव होना है।
इन पांच सीटों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर रालोसपा के अध्यक्ष व राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तक की किस्मत दांव पर है। चौथे चरण में बिहार की दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर सीट पर चुनाव होगा।मसाले व सब्जियों के लिए मशहूर समस्तीपुर पर राजनीति की फसल भी खूब लहलहाती है। आरक्षित समस्तीपुर सीट पर पिछले बार की तरह इस बार भी लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान मैदान में हैं जिनका मुकाबला रोसड़ा के मौजूदा विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अशोक कुमार से है। बता दें कि पिछले चुनाव में अशोक कुमार महज 6872 वोटों से पराजित हुए थे। इस सीट के जातीय समीकरण को देखा जाए तो इस सीट पर यादव, मुसलमान, मल्लाह व मांझी यहां अच्छी तादाद में हैं।