पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों के खिलाफ 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक की अगुवाई कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार ने सेना को सीमा पार हमले करने की अनुमति देने में बहुत बड़ा संकल्प दिखाया है, लेकिन सेना के हाथ उससे पहले भी बंधे हुए नहीं थे.
हुड्डा ने ‘गोवा फेस्ट’ के एक कार्यक्रम में यह बात कही. डी.एस हुड्डा ने कहा, ‘मौजूदा सरकार ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में हवाई हमले की अनुमति देने में निश्चित रूप से महान राजनीतिक संकल्प दिखाया है. लेकिन इससे पहले भी आपकी सेना के हाथ नहीं बंधे थे.’
डी.एस हुड्डा ने कहा, ‘सेना को खुली छूट देने के बारे में बहुत ज्यादा बातें हुई हैं, लेकिन 1947 से सेना सीमा पर स्वतंत्र है. इसने तीन-चार युद्ध लड़े हैं.’
हुड्डा ने कहा, ‘नियंत्रण रेखा एक खतरनाक जगह है क्योंकि जैसा कि मैंने कहा कि आपके ऊपर गोलीबारी की जा रही है और जमीन पर सैनिक इसका तुरंत जवाब देंगे. वे (सैनिक) मुझसे भी नहीं पूछेंगे. कोई अनुमति लेने का कोई सवाल ही नहीं है. सेना को खुली छूट दी गई है और यह सब साथ में हुआ है, कोई विकल्प नहीं है.’
गौरतलब है इससे पहले सेना के एक पूर्व अधिकारी ने कहा था कि मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद ही भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रही थी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी गई थी.
पूर्व सैन्य अधिकारी के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) कांग्रेस पर हर रैली में हमलावर रही. अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पीएम मोदी तक ने सैन्य अधिकारी के बायन पर कांग्रेस को घेरा. बीजेपी के नेता इसी बयान को आधार बनाकर कांग्रेस की आलोचना करते रहे हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा पूर्व उत्तरी थल सेना कमांडर रहे हैं. वह अब राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस के कार्यबल का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने सेना की उत्तरी कमान का उस वक्त नेतृत्व किया था, जब विशेष बल (स्पेशल फोर्स) कमांडो ने उरी आतंकी हमले के बाद सितंबर 2016 में सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक किया था.
इससे पहले डीएस हुड्डा ने सर्जिकल स्ट्राइक के ज्यादा प्रचार पर कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी था और हम लोगों ने इसे किया. मुझे नहीं लगता कि इसका ज्यादा प्रचार होना चाहिए. सर्जिकल स्ट्राइक से यह समझना कि अब आतंक खत्म हो गया या पाकिस्तान बाज आ जाएगा, यह गलत है.