(एजेंसी के द्वारा), समझौता ब्लास्ट केस में बुधवार को बड़ा फैसला आया है। हरियाणा की पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने पाकिस्तान की महिला राहिला वकील की याचिका को खारिज कर सभी चार आरोपियों असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया गया है। बता दें, समझौता ब्लास्ट में अपने पिता को खोने वाली पाकिस्तानी महिला राहिला वकील ने एनआईए कोर्ट में अर्जी दी थी। राहिला वकील ने भारतीय एडवोकेट मोमिन मलिक के जरिए अर्जी दाखिल कर इस केस में गवाही देने की अनुमति मांगी थी। 18 मार्च की सुनवाई में एनआईए कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपना-अपना पक्ष रखा था।
इसके बाद पाकिस्तानी पीड़िता राहिला वकील की अर्जी पर बुधवार को फैसला सुनाते हुए इस खारिज कर दिया। लिहाजा अब पाकिस्तानी गवाहों को गवाही देने का मौका नहीं मिलेगा। पंचकूला एनआईए कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनैतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई हैं, इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि एक और यूपीए समय का झूठा मामला खत्म होता है।
क्या था मामला : भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक बम धमाका हुआ था। दुर्घटना में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे जाने वाले 68 लोगों में 16 बच्चों सहित चार रेलवेकर्मी भी शामिल थे। इस हमले का आरोप असीमानंद, कमल चौहान, लोकेश शर्मा और राजिंदर चौधरी पूंचकूला पर था। इन सभी पर पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चल रहा है। इस केस में कुल 302 गवाह थे। इनमें चार पाकिस्तानी नागरिक थे।