एनडीए में सीटों की पहचान 10 मार्च तक कर ली जायेगी. बताया जाता है कि आठ मार्च तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश भर में नियमित रैली आयोजित है. इसके बाद ही औपचारिक तौर पर सीटों का एलान होगा. हालांकि, पार्टी के स्तर पर तीनों दलों की इस बीच बैठकें होती रहेंगी. वहीं, एनडीए में लोजपा ने अपनी सीटों की भरपाई के लिए नवादा की सीट पर दावेदारी की है.
जबकि, जदयू ने भी अपने कोटे की सीटों की सूची तैयार कर ली है. माना जा रहा है कि एक से दो दिनों के भीतर एनडीए की बैठक होगी, जिसमें सीटों की पहचान को अंतिम रूप दिया जायेगा. इधर, महागठबंधन में भी अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है. कांग्रेस अपनी कोर सीटों से समझौता नहीं करने का संकेत दे चुकी है. कांग्रेस में भी उम्मीदवारी को लेकर एक-दूसरे से टकराहट की नौबत दिख रही है.
अवधेश सिंह ने औरंगाबाद सीट पर ठोका दावा : गया जिले के वजीरगंज के कांग्रेस विधायक अवधेश सिंह ने औरंगाबाद सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी की है. उन्होंने बताया कि स्थानीय जनता की मांग पर उन्होंने दावेदारी की है. यह पूछे जाने पर कि महागठबंधन में औरंगाबाद सीट नहीं मिलती है, तो क्या वह क्या करेंगे. उन्हाेंने कहा कि वह आलाकमान के फैसले पर ही चुनाव लड़ेंगे. निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में नहीं उतरेंगे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि एक बार फिर जदयू में शामिल होंगे. सोमवार को उन्होंने इसकी घोषणा की. उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा से अलग हुए नागमणि ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात का समय मांगा है. समय मिलते ही नागमणि औपचारिक तौर पर जदयू में शामिल हो जायेंगे. नागमणि ने कहा कि वे जदयू में बिना शर्त शामिल होंगे. यदि नीतीश कुमार चुनाव लड़ने को कहेंगे तो वह इसके लिए तैयार हैं. नागमणि ने कहा कि रालोसपा से अलग होने के बाद उन्होंने अपने दल और समर्थकों से बात की. सबकी राय बिहार में जदयू में शामिल होने की रही. उपेंद्र कुशवाहा ने शहीद जगदेव प्रसाद का अपमान किया है.
दो बार उन्होंने कार्यक्रम के लिए समय देकर रद्द कर दिया. दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना के बेली रोड के जगदेव मोड़ के निकट जगदेव प्रसाद की दूसरी प्रतिमा लगायी गयी. जहानाबाद में उनके नाम पर बने अस्पताल के लिए राज्य कैबिनेट ने 93 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. नागमणि ने कहा कि चुनाव में वे उपेंद्र कुशवाहा की जमानत जब्त कराने के लिए जिलों में दौरा करेंगे.
देश में लोकसभा चुनाव का माहौल तैयार हो गया है. ऐसे में राज्य में अन्य तरह की राजनीतिक गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया है.
राज्य में गठित आयोग और बोर्ड में होने वाली नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के बाद ही संभव होगा. सत्तारूढ़ दल के नेताओं को 20 सूत्री सदस्य बनने के लिए लोकसभा के चुनावों तक इंतजार करना होगा. आयोग और बोर्ड में तो कुछ नियुक्तियां कर भी दी गयी हैं, लेकिन 20 सूत्री सदस्यों की अब तक नियुक्ति नहीं की गयी है.
सत्तारूढ़ दल के नेताओं को सरकार बनने के बाद उम्मीद रहती है कि उन्हें सत्ता के साथ जुड़ कर जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा. किसान आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं. इसी तरह से अतिपिछड़ा आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, महादलित आयोग, भोजपुरी अकादमी के चेयरमैन के पद खाली हैं. राज्य मानवाधिकार आयोग और धार्मिक न्यास पर्षद के चेयरमैन के पद पर भी नियुक्ति होनी है. इसी तरह से सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत अलग से प्रावधान तो कर दिया गया है, पर ऊंची जाति के आयोग के अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति नहीं की गयी है. साथ ही हर जिला स्तरीय व प्रखंड स्तरीय 20 सूत्री कमेटी में भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्थान दिया जाना है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि चुनाव के बाद उन्हें सत्ता में भागीदारी मिलेगी.