पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी के बीहड़ पहाड़ी इलाके के सूर्यबेड़ा गांव में आजादी के समय से आज तक ना ही बिजली है, ना ही पानी और ना ही सड़क है. गांव के लोग आज भी इन तीन मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. सरकार से ग्रामीण प्रत्येक साल श्रमदान से सड़क चलने लायक बनाते हैं. मुसाबनी प्रखंड का सबसे बीहड़ व पहाड़ी इलाका सूर्यबेड़ा गांव के ग्रामीणों ने मिलकर पहाड़ी रास्ता को काट कर सड़क बनाई है. बरसात में सड़क तेज बहाव के कारण कट जाता है जिससे ग्रामीणों को फिर से मेहनत कर सड़क बनानी पड़ती है. इस सड़क की हालत भी ऐसी है कि इसपर सिर्फ पैदल ही चला जा सकता है.
सड़क नहीं होने के कारण गांव में सरकार की कोई भी योजना नहीं पहुंची है. गांव में एक भी पेयजल के लिए चापकाल यानि हैंडपंप नहीं है. पीएम आवास नहीं बने है, ग्रामीणों के लिए शौचलाय नहीं हैं. सड़क नहीं रहने के कारण अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है.
गांव में बिजली नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी है. सड़क नहीं रहने के कारण गांव में बिजली के पोल भी पहुंचाना मुश्किल है. जिसके कारण सूर्यबेड़ा गांव की पहाड़ी के नीचे वाले गांव तक बिजली है लेकिन सूर्य बेड़ा गांव तक बिजली अब तक नहीं पहुंच पाई है. बिजली पोल गांव के नीचे विभाग के द्वारा गिरा दिया गया है , लेकिन बिजली कब पहुंचेगी ये कहा नहीं जा सकता है.
ग्रामीणों ने कहा कि वे कई बार सड़क, बिजली और पानी को लेकर प्रखंड स्तर से जिला तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है. ग्रामीणों ने बताया कि सूर्य बेड़ा गांव में दो टोला हैं. छोटा टोला और बड़ा टोला दोनों मिलाकर करीबन 40 घर हैं. गांव में 8 परिवारों का राशन कार्ड भी नहीं बना है. इसके अलावा 7 वृद्धा हैं, जिनको पेंशन भी नहीं मिलती है.
सूर्य बेड़ा गांव में दो सबर परिवार भी रहते हैं जिसने अबतक सरकार की ओर से ना पेंशन और ना ही आवास मिले हैं. सबसे अधिक गांव में पेयजल की समस्या बनी है. गांव के लोग पानी के लिए दूर दराज पहाड़ी, झरना या पहाड़ी नाले में कुआं बना कर पानी पीते हैं.