बिहार पुलिस के मुखिया डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने शुक्रवार की आधी रात सवा बारह बजे मुजफ्फरपुर के टाउन थाना पहुचकर औचक निरीक्षण किया. स्टेशन डायरी देखते हुए लंबित मामले की समीक्षा की. स्टेशन डायरी अपडेट मिली. डीजीपी को अचानक सामने देखकर कई पुलिसकर्मी घबरा गए. लेकिन ड्यूटी पर तैनात मिलने पर डीजीपी ने उसे शाबाशी दी. करीब सात मिनट तक वहां रुके. हाजत को चेक किया. ओडी पदाधिकारी से कई बिंदुओं पर पूछताछ की. फिर वहां से निकल गए.
इसके बाद उनका काफिला मिठनपुरा थाने पर पहुंचा. थाने का दरवाजा बंद देख डीजीपी चौंक गए. खुद दरवाजा खोलकर अंदर घुसे. वहां सभी पुलिसकर्मी आराम फरमा रहे थे. इस पर पुलिसकर्मियों को डांट लगाई. थानाध्यक्ष के कक्ष में ताला लगा था. चाबी मंगाकर उसे खुद से खोला. फिर थानेदार की कुर्सी पर बैठकर स्टेशन डायरी को चेक किया. स्टेशन डायरी अपडेट मिली.
इसके बाद स्टेशन डायरी पर लिखा और फिर वहां से उनका काफिला काजीमोहम्मदपुर थाने पर पहुंचा. वहां पर स्टेशन डायरी अपडेट नहीं मिली. इस पर प्रभारी थानेदार बसंत सिंह को बुलाया. कारण पूछे जाने पर जवाब नहीं मिला तो डांट पिलाई. हाजत को चेक किया. इस बीच डीजीपी के थाने पर पहुंचने की सूचना मिलने के बाद एसएसपी मनोज कुमार व अन्य पुलिस अधिकारी भी काजीमोहम्मदपुर थाने पर पहुंच गए.
स्टेशन डायरी अपडेट नहीं मिलने पर प्रभारी थानेदार पर कार्रवाई के लिए एसएसपी को आदेश देकर वहां से फिर उनका काफिला आगे की ओर निकल गया.
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने मुजफ्फरपुर में थाने की निरीक्षण करने के बाद लाइव सिटीज से बातचीत करने के दौरान कहाँ की बिहार में करीब डेढ़ हजार थाने हैं. सभी का थानेदार मैं खुद हूं.
उन्होंने कहा कि इसलिए मैं कभी भी किसी समय किसी भी थाने पर पहुंच सकता हूं. रोज सुबह नौ से रात के नौ बजे तक ऑफिस में काम करता हूं. उसके बाद रात नौ बजे से लेकर दो बजे तक विभिन्न थानों को चेक करता हूं.उसके बाद सोता हूं. मैं चाहता हूं कि थानों पर दलाल संस्कृति खत्म हो जाए.गरीब शोषित व अकारण किसी को हाजत में बंद कर परेशान नहीं किया जाए इसलिए मैं खुद थानों को चेक कर रहा हूं.