हम भी बहुत जिद्दी हैं, मानते नहीं कि मोदी जी की बहुत ‘उपलब्धियां’ हैं। मोदी जी को श्रेय देने में हम बहुत कंजूस हैं, यह शिकायत मेरे कुछ दोस्तों को भी है। वे कहते हैं कि आजतक मैं ने उनकी तारीफ में एक शब्द तक नहीं लिखा! मैंने सोचा कि चलो, आज लगे हाथ उन्हें भी प्रसन्न कर दूं, हालांकि दोस्त हैं, इसलिए प्रसन्न होंगे नहीं। फिर भी…
तो दोस्तों, मोदी जी के इन करीब-करीब पांच सालों में जो कुछ हुआ है और अभी कुछ और भी तेजी से होगा, वह अभूतपूर्व है। अभी हमारी महान सीबीआई के भूतपूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव की जैसी शानदार दुर्गति सुप्रीम कोर्ट में हुई है, जिस तरह उन्हें अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के कारण कोर्ट की पिछली बैंच पर दिन भर बैठे रहना पड़ा है, ऐसा सचमुच पिछले 70 साल में कभी नहीं हुआ। मोदी जी के अलावा यह कमाल कोई और कर भी नहीं सकता था कि सीबीआई निदेशक के दफ्तर पर सीबीआई से आधी रात को छापा डलवाए, उसे हटाए और अदालत फिर से उसे नियुक्त कर दे तो फिर से चौबीस घंटे में उसे हटवाकर दम ले!
और मित्रों, राफेल की खरीद में जो रोज-रोज उजागर हो रहा है, जिसे विपक्षी दल (छि-छि) भ्रष्टाचार का नाम दे रहे हैं, जिसके लिए ‘चोर-चोर’ के नारे लग रहे हैं, उसे भी आपकी अनुमति से उनकी ‘उपलब्धियों’ के पिटारे में शामिल कर लेता हूं! मोदी जी स्वभाव से ‘उदार’ हैं! वह अपनी ‘उपलब्धियों’ की प्रशंसा करने से कभी किसी को नहीं रोकते। अखिलेश यादव को इलाहाबाद जाने से भले हवाई जहाज की सीढ़ी पर चढ़ने से रोक दें, मगर अपनी तारीफ करने से किसी को नहीं रोकते। यह काबिले तारीफ और काबिले गौर है। यह अलग बात है कि वह अपने को एक प्रोडक्ट समझकर खुद ही अपनी तारीफ करते रहते हैं। उन्हें इस तरह सुनना पतंजलि के विभिन्न उत्पादों के विज्ञापन को देखने-सुनने जैसा दुखदायी है।
और मित्रों, जब कसम तोड़कर मोदी जी की प्रशंसा करने पर उतर ही आया हूं तो प्यार किया तो डरना क्या कि तर्ज पर इस बार सिर्फ उनकी प्रशंसा ही करूंगा। जिसे पढ़ना हो, पढ़े वरना भाड़ में जाए! वैसे भाड़ में जाना असंभव हो गया है। भाड़ अब मुश्किल से भी नहीं मिलतीं। इससे आसान तो पाकिस्तान जाना है। बीजेपी का कोई भी नेता आपको इसका हवाई टिकट बिना मांगे दे देगा और आपका एहसान भी मानेगा।
वैसे मित्रों, मोदी महान के अलावा यह ‘उपलब्धि’ और किसके खाते में दर्ज हो सकती है कि वादा उन्होंने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का किया और एक ही साल में एक करोड़ लोगों को बेरोजगार करके दिखा दिया! क्या इतना बड़ा बेरोजगारी अभियान कोई और प्रधानमंत्री चलाकर दिखा सकता था? कभी नहीं। ऐसे जिगरवाला आज तक कोई प्रधानमंत्री पैदा ही नहीं हुआ!
आज तो उनकी ‘उपलब्धियां’ ही ‘उपलब्धियां’ दिखाई दे रही हैं। उनसे पहले मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हुआ करते थे। इतने ‘आरामपसंद’ थे कि उन्होंने दस साल में इतने कम दौरे किए कि उससे लगभग दोगुना पैसा तो दौरों पर मोदी जी ने पांच साल में निबटाकर दिखा दिया- पहली बार! एक आंकड़ा सामने आया है- जो मोदी जी द्वारा उत्पन्न आंकड़ों जितना ही विश्वसनीय होगा- कि प्रधानमंत्री ने 1740 दिन में 17489 ड्रेसें बदलीं। एक भी ऐसा प्रधानमंत्री आजाद भारत के इतिहास में बता दीजिए! सत्तर साल तो छोड़िए, आजादी के सौ साल बाद भी ऐसा ड्रेस बदलू-भेसबदलू प्रधानमंत्री नहीं मिलनेवाला!
यह भी मित्रों, मोदी जी की ‘उपलब्धि’ है कि उन्होंने संसद की अनुमति के बगैर 2017-18 में करीब 1150 करोड़ रुपये बजट से अधिक खर्च कर दिए। मित्रों, यह भी मोदी जी की ‘उपलब्धि’ है कि उनकी गंगा में नहाओ और भ्रष्टाचार की वैतरणी पार हो जाओ और विपक्ष की गंगा में नहाने जाओ तो सीबीआई के कीचड़ में फंसकर धंस जाओ। मोदी जी का गठबंधन पवित्र, सैद्धांतिक और दूसरों का अपवित्र-अवसरवादी होता है। उनका गठबंधन, महागठबंधन और इनका गठबंधन महामिलावट! कितनी निराली, कितनी मतवाली तर्कपद्धति का आविष्कार किया है, मित्रों, हमारे मोदी जी ने!
मित्रों, आप थक तो नहीं गए मोदी जी की तारीफ सुनते-सुनते! नहीं न! तो फिर सुनते जाइए, मगन होते जाइए। इस देश में आज तक ऐसा कोई प्रधानमंत्री नहीं हुआ, जिसने झील को अभिवादन करते देखा हो और उसे स्वीकार किया हो! मोदी जी ने यह भी कर दिखाया। श्रीनगर में उनके आगमन पर ऐसा कड़ा सुरक्षा प्रबंध था कि आदमी तो क्या चिड़िया भी पर नहीं मार सकती थी तो डल झील को ही अपना प्रशंसक बताते हुए मोदी जी ने उसके सामने हाथ हिला दिया- यह भी सत्तर साल में पहली बार हुआ !
तो मित्रों, मोदी जी की तो मैं ऐतिहासिक रूप से सुदीर्घ प्रशंसा कर सकता हूं, मगर क्या है कि मोदी की तरह उनके प्रशंसकों को भी मोदी जी से ज्यादा अपनी प्रशंसा प्रिय है। मोदी जी से उन्हें ऐसे ही उच्च भारतीय संस्कार मिले हैं! इसलिए मित्रों, थोड़ा लिखा है, बहुत समझना और कोई भड़काए तो मत भड़कना कि मैंने जो लिखा है, वह मोदी जी की प्रशंसा नहीं है।
सच तो यह है कि यह उनकी ही नहीं, आपकी भी प्रशंसा है। इसका श्रेय भी मोदी जी को जाता है कि उन्होंने अपनी प्रशंसा करना देश को सिखाया और अपनी आलोचना करनेवालों, काले झंडे दिखानेवालों को लाठी-डंडा खिलाकर दिखाया! 70 साल में लोकतंत्र को यह नई पहचान देने के लिए देश मोदी जी का और आपका सबका भी बहुत ऋणी है और इस ऋण से कभी उऋण नहीं हो पाएगा!
लेकिन एक बात कहूं मित्रों, बुरा मत मानना। 2002 की उनकी ‘उपलब्धि’ के आगे ये सब ‘उपलब्धियां’ फीकी हैं।
विष्णु नागर,
(एक ब्लाग से साभार)