*जिले में 57.5 फीसद गर्भवती महिलाएं एनीमिया के शिकार*

*जिले में 57.5 फीसद गर्भवती महिलाएं एनीमिया के शिकार*

 

लखीसराय से संवाददाता अनुराग आनंद की रिपोर्ट ✍️

  1. *लखीसराय:-* गर्भावस्था में महिलाओं के स्वास्थ्य का सीधा असर उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव, प्रसव पूर्व जांच, टीकाकरण, आयरन और कैल्शियम टेबलेट का वितरण आदि कई प्रकार की व्यवस्था की गई है। लेकिन सदर अस्पताल लखीसराय स्थित 14 बेड वाले एसएनसीयू में जन्म के समय कमजोर एवं गंभीर बीमारियों से जूझ रहे भर्ती नवजातों की हो रही मौत की घटना ने जिले में गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित सेहत पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह स्थिति तब है जब स्वास्थ्य विभाग जिले में गर्भवती महिलाओं की पहचान करने, प्रसव पूर्व जांच कराकर प्रसव कराने से लेकर प्रसव के बाद 42 दिनों तक जच्चा और बच्चा की सेहत की निगरानी करने का दावा करती है।

 

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जिले में 57.5 फीसद गर्भवती महिलाएं एनीमिया के शिकार

 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) द्वारा वर्ष 2019 में की गई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार लखीसराय जिले में 57.5 फीसद गर्भवती महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) की चपेट में हैं। जबकि 62.4 फीसद सामान्य महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी पाई गई है। बिहार में यह आंकड़ा 60.4 फीसद है। रिपोर्ट के अनुसार छह माह से पांच वर्ष आयु के 66.3 फीसद बच्चे जिले में एनीमिया की चपेट में हैं। 43.9 फीसद कम वजन के बच्चे का जन्म हो रहा है। —

 

पौष्टिक आहार की कमी से कमजोर बच्चे ले रहे जन्म

 

सिविल सर्जन डा. देवेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि पौष्टिक आहार की कमी के कारण बच्चे कमजोर जन्म ले रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्शियम का टेबलेट दिया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती और धात्री माताओं को कैल्शियम और आयरन का टेबलेट दिया जाता है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की नौ तारीख को सभी सरकारी अस्पतालों में विशेष कैंप लगाकर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। गर्भावस्था में रक्त अल्पता खतरनाक होता है। जागरूकता में कमी, पोषक आहार नहीं लेने और संक्रमण के चलते 60 फीसद महिलाएं एनीमिया की गिरफ्त में आती हैं।

 

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गर्भवती में कैल्शियम की कमी से कमजोर होते हैं नवजात

 

लखीसराय पीएचसी की चिकित्सक डा. हरिप्रिया के मुताबिक महिलाओं को गर्भधारण के तीन महीने बाद कैल्शियम की दवाओं का सेवन करना चाहिए। मां में कैल्शियम की कमी होने से शिशु की हड्डियां कमजोर होती है। कैल्शियम की कमी से महिलाओं के साथ शिशु की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। प्रोटीनयुक्त आहार के साथ कैल्शियम का भरपूर सेवन गर्भावस्था के दौरान करना चाहिए। लेकिन जानकारी का अभाव, अशिक्षा, खान-पान पर ध्यान नहीं देने के कारण महिलाओं में खून की कमी एवं बीमारियां होती है। इसका सीधा असर नवजात पर पड़ता है।

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