जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए 40 जवानों का पहला बदला भारत की सेना ने ले लिया है. सोमवार को पुलवामा में ही हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने पुलवामा आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता गाजी राशिद उर्फ कामरान को मौत के घाट उतार दिया. सिर्फ 100 घंटे के भीतर ने सेना ने इस मोस्टवांटेड आतंकी को उसके किए की सजा दे दी. गाजी के अलावा एक लोकल जैश-ए-मोहम्मद आतंकी हिलाल को मारा गया है. हालांकि, इस मुठभेड़ में सेना के 4 जवान शहीद हो गए हैं.
देश अभी 40 जवानों के शहीद होने का गम ही मना रहा था कि सोमवार सुबह एक और बुरी खबर आ गई. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ लड़ रहे सुरक्षाबलों के चार जवान शहीद हो गए. पुलवामा जिले के पिंगलिना में सुरक्षाबलों ने देर रात को ऑपरेशन चलाया, जिसका मकसद था गाजी राशिद को पकड़ना. वही गाजी जिसने पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रची थी. सुरक्षाबल अपने इस मिशन में कामयाब हो गए हैं, क्योंकि गाजी को मार गिराया गया है.
सुरक्षाबलों ने भी जैश-ए-कमांडर के दो कमांडरों को मौत के घाट उतार दिया. सुरक्षाबलों ने यहां एक बिल्डिंग को ही उड़ा दिया, जहां आतंकी छिपे बैठे थे. 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हुए थे, इसकी साजिश गाजी ने ही रची थी. अब चार दिन के भीतर ही सुरक्षाबलों ने बदला पूरा किया है.
दरअसल, पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही सुरक्षाबलों ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज कर दिया है. इसी कड़ी में रविवार देर रात करीब 12 बजे पुलवामा के पिंगलिना में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली.
सुरक्षाबलों ने इस इलाके को चारों ओर से घेरा और रात साढ़े 12 बजे ऑपरेशन शुरू हो गया. इस ऑपरेशन को 55RR, CRPF और SOG के जवानों ने मिलकर चलाया. आतंकियों के साथ मुठभेड़ करते हुए हमारे 4 जवान शहीद हो गए. इनमें मेजर डीएस डोंडियाल, हेड कॉन्स्टेबल सेवा राम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरी सिंह शामिल हैं. एक जवान घायल है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
आपको बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अपने भतीजे के जरिए घाटी में आतंकी हरकतों को अंजाम देता था. लेकिन पिछले साल ऑपरेशन ऑलआउट के दौरान सुरक्षाबलों ने उसे मार गिराया था. जिसके बाद से ही मसूद अजहर ने कश्मीर की जिम्मेदारी अपने टॉप कमांडर और आईईडी एक्सपर्ट गाजी राशिद को दी थी.
ऐसा माना जा रहा है कि गाजी अपने 2 सहयोगियों के साथ दिसंबर में भारत में घुसा और दक्षिण कश्मीर में छिप गया. आपको बता दें कि गाजी को मौलाना मसूद अजहर का भरोसेमंद और करीबी माना जाता है.
उसने 2008 में जैश-ए-मोहम्मद ज्वाइन किया और तालिबान में ट्रेनिंग ली. 2010 में वह उत्तरी वजीरिस्तान आ गया था. तभी से आतंक की दुनिया में वह शामिल है. कुछ ही समय बाद उसने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के इलाके में युवा लड़ाकों को ट्रेनिंग करनी शुरू दी थी.