कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को केरल की वायनाड लोकसभा सीट से पर्चा दाख़िल किया. गुरुवार को जब राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ वायनाड सीट से नामांकन भरने पहुँचे तो ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था.
पिछले सप्ताह ही कांग्रेस पार्टी ने इसकी आधिकारिक घोषणा की थी कि ‘गांधी परिवार की परंपरागत सीट’ अमेठी (उत्तर प्रदेश) के अलावा वो केरल की वायनाड सीट से भी चुनावी मैदान में उतरेंगे.
पर्चा दाख़िल करने से पहले राहुल गांधी ने कहा, “मैं दक्षिण भारत को यह संदेश देना चाहता था कि हम आपके साथ खड़े हैं. यही वजह रही कि मैंने केरल से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया.”
राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद चुने गए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी नेता स्मृति ईरानी को हराकर अमेठी सीट अपने नाम की थी.
कांग्रेसी कार्यकर्ता पार्टी के इस फ़ैसले से उत्साहित नज़र आ रहे हैं और पार्टी ये दावा कर रही है कि दक्षिण भारत में कांग्रेस की पकड़ को अधिक मजबूत करने के लिए राहुल गांधी ने ये फ़ैसला लिया है.
हालांकि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे ‘डरकर लिया गया फ़ैसला’ बता रही है. बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह कह चुके हैं कि राहुल गांधी बीजेपी के डर से भाग रहे हैं.वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वर्धा में हुई चुनावी रैली में ‘धर्म के आधार’ पर राहुल गांधी के लोकसभा सीट चुनने के फ़ैसले पर तंज कसा था और वो इस फ़ैसले पर सवाल उठा चुके हैं.
दक्षिणपंथी रुझान वाले ट्विटर यूज़र्स और फ़ेसबुक ग्रुप्स में शामिल लोग कुछ टीवी रिपोर्ट्स के हवाले से यह लिख रहे हैं कि ‘वायनाड में मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से बहुत ज़्यादा है, इसीलिए राहुल गांधी वहाँ से चुनाव लड़ रहे हैं’.
लेकिन सोशल मीडिया पर एक धड़ा ऐसा भी है जो दक्षिणपंथी लोगों के इस तर्क से अहमत है. इन लोगों का कहना है कि वायनाड संसदीय क्षेत्र में मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी हिंदुओं से कम है.इस संदर्भ में हमने सोशल मीडिया पर दिख रहे दोनों तरफ के दावों की पड़ताल की.
पहला दावा:
वायनाड सीट में हिंदुओं की आबादी सबसे ज़्यादा है : सोशल मीडिया पर जो लोग वायनाड संसदीय क्षेत्र में हिंदुओं की जनसंख्या क़रीब 50 फ़ीसदी बता रहे हैं, वो दरअसल वायनाड ज़िले की जनसंख्या का आंकड़ा शेयर कर रहे हैं. लोग वायनाड ज़िले और वायनाड लोकसभा सीट के बीच अंतर नहीं कर रहे.
इन लोगों ने गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है.इस डेटा के अनुसार वायनाड ज़िले में हिंदुओं की आबादी मुसलमानों से काफ़ी ज़्यादा दर्ज की गई थी.
साल 2011 तक वायनाड ज़िले में क़रीब 50 परसेंट हिंदू और क़रीब 30 परसेंट मुस्लिम आबादी थी.लेकिन वायनाड ज़िले की जनसंख्या को वायनाड संसदीय क्षेत्र के वोटर्स की संख्या के तौर पर बताय ग़लत है.
दूसरा दावा:
वायनाड में मलाप्पुरम ज़िले के कारण मुस्लिम वोटर्स की संख्या 50 फ़ीसदी से ज़्यादा : इस दावे को सही साबित करने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया पर कई तरह के नंबर शेयर किए हैं जिनमें वायनाड संसदीय क्षेत्र के भीतर मुसलमानों की आबादी 50 परसेंट से 60 परसेंट के बीच बताई गई है.
लोगों ने लिखा है कि वायनाड लोकसभा सीट में मुस्लिम बहुल मलाप्पुरम ज़िले का काफ़ी बड़ा इलाक़ा पड़ता है. इसी वजह से वायनाड संसदीय क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या ज़्यादा है.
साल 2009 में परिसीमन के बाद सियासी अस्तित्व में आई उत्तरी केरल की वायनाड लोकसभा सीट सूबे के तीन ज़िलों: कोज़ीकोड, मलाप्पुरम और वायनाड को मिलाकर बनाई गई थी.
- कोज़ीकोड ज़िले में पड़ने वाली 13 विधानसभा सीटों में से सिर्फ़ एक विधानसभा सीट का इलाक़ा वायनाड लोकसभा सीट में पड़ता है.
- वायनाड ज़िले की तीनों विधानसभा सीटों का इलाक़ा वायनाड लोकसभा सीट में पड़ता है.
- मलाप्पुरम ज़िले की 16 में से सिर्फ़ तीन विधानसभा सीटों का इलाक़ा ही वायनाड लोकसभा सीट में शामिल है.
साल 2011 में मलाप्पुरम ज़िले में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से काफ़ी ज़्यादा दर्ज की गई थी.सरकारी डेटा के अनुसार इस ज़िले में क़रीब 74 परसेंट मुसलमान और क़रीब 24 परसेंट हिंदू रहते हैं.
लेकिन मलाप्पुरम ज़िले का एक चौथाई इलाक़ा ही वायनाड लोकसभा सीट में जुड़ा हुआ है.वायनाड लोकसभा सीट में पड़ने वाले इन तीनों ज़िलों के मतदाताओं को अगर जोड़ दिया जाये तो यहाँ 13,25,788 वोटर हैं.रजिस्टर्ड वोटर्स की ये संख्या इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जनसंख्या से काफ़ी कम है.
केरल के चुनाव आयोग के अनुसार वायनाड सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद क़रीब 75,000 नए वोटर जुड़े हैं.लेकिन इनमें से हिंदू वोटर कितने हैं और मुस्लिम वोटर कितने? इसका कोई आधिकारिक डेटा चुनाव आयोग के पास नहीं है.
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने बताया, “2014 के लोकसभा चुनाव में वायनाड संसदीय क्षेत्र में पंजीकृत वोटर्स की संख्या 12,47,326 थी. ये अब बढ़ गई है.पर इनमें कितने वोटर हिंदू हैं और कितने मुसलमान, चुनाव आयोग इसका हिसाब नहीं रखता है.”
‘डेटा नेट’ नाम की एक निजी वेबसाइट ने धर्म के आधार पर भारत के विभिन्न संसदीय क्षेत्रों का डेटा तैयार किया है.डॉक्टर आरके ठकराल इस वेबसाइट के डायरेक्टर हैं जो ‘इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया’ नाम की एक क़िताब भी लिख चुके हैं.
उन्होंने बताया कि साल 2001 और 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों, भारत सरकार द्वारा जारी की गई 2008 की परिसीमन रिपोर्ट और गाँव स्तर पर जारी की गईं वोटर लिस्ट को आधार बनाकर उन्होंने ये डेटा तैयार किया है.
ठकराल ने बताया कि अधिकांश ग्रामीण आबादी वाले वायनाड लोकसभा क्षेत्र में हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी लगभग बराबर है.
उनके अनुमान के मुताबिक़ इस लोकसभा क्षेत्र में हिंदू और मुसलमान, दोनों ही 40-45 प्रतिशत के बीच हैं और 15 प्रतिशत से अधिक ईसाई समुदाय के लोग हैं.
साल 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नज़र डालें तो वायनाड में कांग्रेस पार्टी की टक्कर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया से रही है.
वायनाड लोकसभा सीट केरल के 20 संसदीय क्षेत्रों में से एक है जिसे साल 2009 में कुल सात विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाया गया था.
वायनाड सीट के कुछ हिस्से तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा को छूते हैं.वायनाड ज़िला केरल में सबसे अधिक जनजातीय आबादी वाला ज़िला माना जाता है.इसका असर वायनाड लोकसभा क्षेत्र पर भी दिखता है जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आबादी है.वायनाड लोकसभा क्षेत्र में 80 से ज़्यादा गाँव हैं और सिर्फ़ 4 कस्बे हैं.
चुनाव आयोग के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में 9,14,226 वोट (73.29 परसेंट मतदान) पड़े थे जिनमें से 3,77,035 (41.20 परसेंट) वोट कांग्रेस पार्टी को मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया को 3,56,165 (39.39 परसेंट) वोट मिले थे.
2014 में जब बीजेपी ने देश के बाकी हिस्सों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था, तब वायनाड में बीजेपी को क़रीब 80 हज़ार वोट मिले थे और पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी.
बीबीसी से साभार