बांका कटोरिया से श्रीकान्त यादव की रिपोर्ट
बांका जयपुर कटोरिया प्रखंड के अति पिछड़ी कटियारी पंचायत की एक आदिवासी विधवा के पास जिंदा रहने के अलावा कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है। जिसके कारण गरीबों के लिए चलाई जाने वाली सरकार की एक भी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल सका है। पंचायत के माथासार गांव निवासी आदिवासी विधवा नीलमुनि क़िस्कु का आज तक आधार कार्ड तक नहीं बन पाया है। जिसके वजह से गरीबों को मिलने वाला मुफ्त राशन कार्ड भी इनका नहीं बन सका है। ऐसे में इन्हें सरकारी राशन मिलता है ना तेल केरोसिन। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना भी उनके लिए सपना जैसा है।आधार कार्ड के बिना इनके झोपड़ी में बिजली कनेक्शन भी नहीं लग सका है। आलम यह है कि बिजली और केरोसिन तेल के अभाव में शाम ढलते ही अपनी विधवा बेटी के साथ बेसहारा नीलमुनी टुटी झोपड़ी में कैद हो जाती है। 65 वर्षीय विधवा अपनी दर्द को बयां करते हुए बताती हैं कि आज से 20 वर्ष पूर्व उनके पति बाबूलाल मुर्मू बिना बताए एकाएक घर से निकल गया था जो आज तक दोबारा वापस नहीं आया। उनके जिंदा रहने या करने की कोई सूचना आज तक नहीं मिल सकी है। तब से वोअपने आप को विधवा मान एक बेटी के सहारे वा अपनी बाकी जिंदगी काट रही है। पांच वर्ष पूर्व किसी तरह अपनी बेटी की उन्होंने शादी कराई। दुर्भाग्य ऐसा की कुछ दिन बाद ही बेटी पक्कु मुर्मू भी विधवा हो गई। और तब से मां बेटी बिना किसी सरकारी सहायता के किसी तरह एक वक्त भोजन कर जीवन गुजरने को मजबूर है। पति के जीवित रहते ही वह घर की मरममती कर गए थे। उनके जाने के बाद रखरखाव के अभाव में मिट्टी का घर भी गिर गया। इसके बाद जंगल की लकड़ी से एक झोपड़ी तैयार कर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही है। टूटी झोपड़ी को कभी प्लास्टिक तो कभी साड़ी के सहारे ढक कर ठंड से बच रही है।
इस बावत में पंचायत के मुखिया सोमलाल हांसदा ने बताया महिला के पास सरकारी पहचान के नाम पर कोई भी दस्तावेज नहीं है। जिसके कारण आधार कार्ड भी नहीं बन पा रहा है। आधार कार्ड बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया काफी लंबी होने के कारण आज तक नहीं बन सका है। आधार आधार कार्ड के बिना राशन कार्ड स्वास्थ्य कार्ड आवास योजना का सर्वे तक नहीं हो पा रहा है।