लोकतंत्र का महापर्व एनडीए के हक़ में मिले प्रचंड जनादेश के साथ समाप्त हो गया। चुनाव के दौरान ईवीएम को लेकर भी खूब चर्चाएं हुईं। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने ईवीएम पर खूब बयानबाज़ी की। जनादेश के फैसले के साथ ही अब ईवीएम पर बयानबाज़ी फिलहाल थम गयी है। लेकिन आम जनता के मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि अब चुनाव तो हो गए अब वोटिंग के दौरान इस्तेमाल हुए ईवीएम का क्या होगा ? आखिर चुनाव आयोग इन ईवीएम का क्या करेगा? आइये समझते हैं।
45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग रूम में ही रखा जाता है। चुनाव आयोग ने ईवीएम को लेकर बेहद सख्त नियम बनाए हुए हैं। चुनाव ख़त्म होते ही ईवीएम को सबसे पहले निर्धारित स्ट्रांग रूम में बेहद कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। स्ट्रांग रूम में अँधेरे में ईवीएम को रखा जाता है। जहां ईवीएम रखी जाती है वहां किसी किस्म की इलेक्ट्रानिक डिवाइस भी नहीं होती है। एक बार मतगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कई कागजी प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। काउंटिंग प्रक्रिया के बाद अगले 45 दिनों तक चुनाव आयोग ईवीएम को सुरक्षित रखता है। उम्मीदवार को विजेता घोषित करने के बाद ईवीएम को एक बार फिर से स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है, और रूम को बंद कर एक बार फिर सील किया जाता है। ये प्रक्रिया उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की जाती है। इनके हस्ताक्षर लिए जाते हैं। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार अगर किसी भी उम्मीदवार को मतगणना पर संदेह है तब वह उम्मीदवार आयोग से आवेदन के माध्यम से दोबारा मतगणना कराने का निवेदन कर सकता है।
इसके बाद चुनाव आयोग के इंजीनियर ईवीएम की जांच करते हैं। कई चरणों में इसकी जांच की जाती है। सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद ईवीएम को दूसरे मतदान के लिए तकनीकी रूप से सक्षम घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद जरूरत के मुताबिक ईवीएम को भेजा जाता है। ईवीएम को मतदान के लिए भेजे जाने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाता है और उनके सामने मॉक टेस्ट किया जाता है।
चुनाव के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कुल ईवीएम का 20 प्रतिशत रिजर्व के रूप में रखा जाता है ताकि तकनीकी दिक्कतें होने पर अतिरिक्त ईवीएम से काम चलाया जा सके। इस बार के चुनाव में करीब 60 करोड़ मतदाताओं ने ईवीएम के जरिये अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
:- आलोक कौशिक