संजय सिन्हा,
निरसा: मुगमा, निरसा व कालूबथान क्षेत्र में चल रहे गोल भट्ठों की कहानी भी गोल है। बिना डीओ या लिकेंज कोयला लिए फैक्ट्री की चिमनी से निकलने वाले धुआँ का राज क्या है ! फैक्ट्री में साइकिल, ठेला, ऑटो, हाईवा, ट्रक आदि से अवैध रूप से कोयला धड़ल्ले से गिराया जा रहा है। एक मोटी रकम निरसा पुलिस को प्रति माह मिलती है। जिले के आला अधिकारी को मैनेज किया जाता है। जानकार बताते है कि गोल भट्ठों में सालों भर अवैध कोयला को खपाकर चिमनी से धुआॅ निकलता है। बावजूद इसके पुलिस व प्रशासन द्वारा कोई कारवाई नही की जाती है।
बतादे कि निरसा के पांड्रा-सिरपुरिया रोड़ के ‘पी’ तिवारी का भट्ठा में होती हैं सालो भर होती हैं खुलेआम कोयले का अवैध कारोबार। बताया जाता है कि निरसा पुलिस मेहरबान हैं पी तिवारी पर।रिफैक्टरियों द्वारा डीओ या लिकेंज का कोयला भी नही लिया जाता है। वहीं दूसरी और इन उद्योग में प्रदूषण विभाग का भी खुला उल्लघंन भी किया जा रहा है। कतिपय इन्ड्रस्ट्रीज (भट्ठा) को चाहरदिवारी से घेरकर और एक चिमनी एवं छोटा दो चूल्हा लगाकर पोड़ा कोयला का इन्ड्रस्ट्रीज खोल रखा है। निरसा व कालूबथान ओपी क्षेत्र के कतिपय इन्ड्रस्ट्रीज के मुख्य गेट पर इन्ड्रस्ट्रीज का कोई नेम प्लेट, सैल्स टैक्स नम्बर, इन्ड्रस्ट्रीज (भट्ठा) का रजिस्ट्रेशन नम्बर आदि नहीं लिखा हुआ रहता है। इन्ड्रस्ट्रीज में नियमों का भी घोर उल्लघंन भी किया जा रहा है।
धंधे पर लगाम के लिए एसी कमरे में सिर्फ बैठके, नतीजा शून्य: ईसीएल मुगमा क्षेत्र में कोयला के अवैध उत्खनन व चोरी को रोकने के लिए तमाम कोशिशे नाकाम हो रही है। अवैध उत्खनन को रोकने के लिए मुख्य सचिव स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक कई बैठके हुई, मगर नतीजा सिफर निकला। बंद खदान से अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर जारी है। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नही दिया जाता है। निरसा पुलिस अंचल में ईसीएल व बीसीसीएल के बंद खदानों में अवैध उत्खनन के दौरान प्रति वर्ष एक सौ लोगो की मलवे में दब जाने से मौत होती है मगर आधिकारिक पुष्टि नही की जाती है।
कोयले का अवैध उत्खनन और सुरक्षा तंत्र के बीच चोली दामन का रिश्ता है। बंद घोषित खदानों से कोयले की निकासी या चोरी कर उसे बाजार में बेचना मजदूरों के एक वर्ग की मजबूरी भी है। जानकारों के मुताबिक कोयला का यहाॅ चल रहे अवैध उत्खनन के लिए कोयला कंपनियों की गलत नीतियाॅ ही जिम्मेवार है। कोयला के अवैध उत्खनन के दौरान अक्सरांह चाल धंसने या चट्टान खिसकने से इस धंधे में शामिल लोग असमय काल के गाल में समा जाते है।