News Agency : एआईयडूीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन का प्रस्ताव दिया था। कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने के बाद संसदीय सीटों- धुबड़ी, बरपेटा और करीमगंज, से अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की जिन पर उनकी पार्टी का कब्जा था। कांग्रेस भी उनके उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान से हट जाएगी या फिर कमजोर उम्मीदवार उतारेगी।
बीजेपी ने कांग्रेस और अजमल के बीच राजनीतिक गठबंधन का आरोप लगाकर असमिया मतदाताओं को एकजुट करने का अभियान चला दिया। लेकिन जब इन सीटों पर कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवार दिए, तो न सिर्फ अजमल परेशान हैं बल्कि बीजेपी को भी नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। धुबड़ी से तो खुद अजमल विजयी रहे थे। धुबड़ी और बरपेटा में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। तीसरे फेज की अन्य दो सीटों पर भी मुकाबला दिलचस्प है।
बीजेपी के लिए गुवाहाटी प्रतिष्ठा की सीट है। पिछली बार बीजेपी यहां से जीती थी। बीजेपी ने निवृत्तमान सांसद विजया चक्रवर्ती की जगह कुइन ओजा पर भरोसा किया है। इस बार यहां कांग्रेस से बबिता शर्मा उम्मीदवार हैं। निर्दलीय उम्मीदवार उपमन्यु हजारिका भी शहरी असमिया मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
कोकराझाड़ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार नब कुमार शरणिया बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) की उम्मीदवार प्रमिला रानी ब्रह्म के लिए चुनौती बन गए हैं। वह बीजेपी, एजीपी और बीपीएफ गठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने शब्द राभा को फिर से टिकट दिया है जबकि यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (यूपीएफ) की तरफ से पूर्व सांसद उर्खाव गौरा ब्रह्मा भी मैदान में हैं, जिन्हें ऑल बोडो छात्रसंघ का समर्थन है।