कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने गुरुवार को रायबरेली लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. सोनिया रायबरेली सीट से पांचवी बार मैदान में उतरी हैं. अगर वह चुनावी जंग फतह करने में कामयाब रहती हैं तो एक रिकॉर्ड कायम करेंगी. रायबरेली के सियासी इतिहास में पहली बार होगा जब कोई पांचवी बार यहां से जीतकर संसद पहुंचेगा. रायबरेली लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव में कोई भी उम्मीदवार चार बार से अधिक चुनाव जीतकर लोकसभा नहीं पहुंचा है. जबकि फिरोज गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. इस सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा चार बार जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम है.
सोनिया गांधी ने जब सियासत में कदम रखा तो पहली बार उन्होंने अपने पति राजीव गांधी की संसदीय सीट अमेठी को अपनी कर्मभूमि बनाया और 1999 में यहीं से चुनकर पहली बार संसद पहुंचीं. 2004 में राहुल गांधी ने राजनीति में एंट्री के बाद सोनिया गांधी ने बेटे के लिए अमेठी छोड़कर अपनी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रायबेरली को अपनाया और यहीं की होकर रह गईं.
रायबेरली संसदीय सीट से सोनिया गांधी ने पहला चुनाव 2004 में लड़ा और करीब ढाई लाख मतों से जीत दर्ज की. इसके बाद सोनिया गांधी ने बीच कार्यकाल में लाभ के पद के आरोप के चलते लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2006 में उपचुनाव हुआ और सोनिया गांधी करीब 4 लाख 17 हजार मतों से जीत दर्ज की. 2009 में सोनिया गांधी एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरीं और उन्होंने पौने चार लाख मतों से जीत हासिल की. इसके बाद चौथी बार 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरीं और करीब साढ़े तीन लाख वोटों से जीत हासिल की.
सोनिया गांधी के बाद सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकॉर्ड इंदिरा गांधी के नाम है. इंदिरा गांधी चार बार चुनावी मैदान में उतरीं और तीन बार जीत दर्ज करने में कामयाब रही थीं. इंदिरा गांधी पहला चुनाव 1967 में लड़ीं और जीतकर संसद पहुंचीं. इसके बाद दूसरी बार 1971 में भी जीत दर्ज की और तीसरी बार इंदिरा गांधी 1977 में मैदान में उतरीं तो उन्हें राज नारायण के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद 1980 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली और मेडक सीट से पर्चा भरा और दोनों जगह से जीतने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्होंने रायबरेली से इस्तीफा दे दिया.
रायबरेली सीट से दो-दो बार जीतने का रिकॉर्ड फिरोज गांधी, बैजनाथ कुरील, अरुण नेहरू, शीला कौल और अशोक सिंह के नाम हैं. 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद बने. मोदी लहर में भी इस सीट पर बीजेपी का कमल नहीं खिल सका है. दिलचस्प बात ये है कि सपा और बसपा इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी हैं.