रिलायंस डिफेंस ने उस कथित ईमेल का खंडन किया है, जिसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के साथ राफेल डील को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला था। रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने राहुल गांधी के आरोप लगाने के कुछ ही घंटे बाद खंडन करते हुए कहा कि वह ईमेल एयरबस और रिलायंस डिफेंस के बीच सहयोग को लेकर था।
रिलायंस डिफेंस ने कहा कि उक्त ईमेल का भारत सरकार और फ्रांस के बीच हुए 36 राफेल एयरक्राफ्ट की डील से कोई कनेक्शन नहीं है।
रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा जिस कथित ईमेल का संदर्भ दिया जा रहा है वह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत नागरिक एवं रक्षा हेलीकॉप्टर कार्यक्रम के बारे में एयरबस और रिलायंस डिफेंस के बीच हुई चर्चा से संबंधित है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एमओयू पर चर्चा स्पष्ट रूप से एयरबस हेलीकॉप्टर और रिलायंस के बीच सहयोग पर हो रही थी। इसका 36 राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सरकार से सरकार के समझौते का कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह भी दस्तावेजों में दर्ज है कि राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सहमति पत्र पर 25 जनवरी 2016 को दस्तखत हुआ था न कि अप्रैल 2015 में।
इससे पहले राफेल मामले में सामने आई एक नयी मीडिया रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उद्योगपति अनिल अंबानी के ‘बिचौलिए’ की तरह काम करने और सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होनी चाहिए। राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर का हवाला देते हुए सवाल किया कि प्रधानमंत्री के फ्रांस दौरे से पहले अंबानी को कैसे पता चल गया था कि सौदा होने वाला है और कांट्रैक्ट उन्हें मिलने वाला है? गांधी ने संवाददाताओं से कहा था कि एक ईमेल सामने आया है जिससे सवाल पैदा होता है कि अनिल अंबानी कैसे प्रधानमंत्री के दौरे से पहले फ्रांस के रक्षा मंत्री से मुलाकात कर रहे थे?
उन्होंने दावा किया था कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को सौदे के बारे पता नहीं था। तत्कालीन विदेश सचिव को नहीं मालूम था। एचएएल को नहीं मालूम था। लेकिन अनिल अंबानी को पहले से पता था कि सौदा होने वाला है, जबकि अंबानी फ्रांस के रक्षा मंत्री के साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है। इसको लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू होनी चाहिए। गांधी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री अनिल अंबानी के लिए बिचौलिए की तरह काम कर रहे हैं। यह पूरी तरह स्पष्ट है।
उन्होंने इस मामले से जुड़ी कैग रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ‘चौकीदार ऑडिटर जनरल रिपोर्ट’ है जिसका कोई मतलब नहीं है। गौरतलब है कि सरकार तथा अंबानी का समूह कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को पहले ही खारिज कर चुके हैं।