नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने राफेल मामले को केंद्र की भाजपा सरकार के लिए ‘फांसी का फंदा’ करार देते हुए दावा किया है कि यह ‘घोटाला’ एक ऐसा दलदल बन गया है जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी बाहर नहीं निकल सकते और चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनने पर वह इस मामले में उद्योगपति अनिल अंबानी के साथ मुख्य आरोपी होंगे। जानेमाने वकील सिंघवी ने यह भी कहा कि सरकार बनते ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होगी, जांच कराई जाएगी, आरोप पत्र दायर होगा और मुकदमा चलाया जाएगा।
गौरतलब है कि राफेल मामले में कांग्रेस की तरफ से लगाए गए आरोपों को सरकार और अंबानी के समूह ने कई बार खारिज किया है। सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस राजद्रोह के कानून को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि इसके दुरुपयोग को देखते हुए इसके खिलाफ देश में ‘जबरदस्त आक्रोश’ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रवाद एक गौरवशाली शब्द है, लेकिन इन लोगों ने इस शब्द को इस तरह विकृत कर दिया है कि इनके लिए हर कार्टून में राष्ट्रद्रोह है, हर विरोध में राष्ट्रद्रोह है, अपना मत रखने में राष्ट्रद्रोह है। हमने अपने घोषणापत्र में लिखा है और इसको खत्म लेकर कटिबद्ध हैं।
उन्होंने दावा किया कि आज इस देश में इसके (राजद्रोह के) विरूद्ध जबरदस्त आक्रोश है। इसलिए भाजपा को इस पर बहुत बड़ा अचंभा होगा और राजनीतिक चपत भी लगेगी। सिंघवी ने राफेल मामले से जुड़े सवाल पर कहा कि राफेल इस सरकार के लिए फांसी का फंदा हो गया है। ये लोग एक दिन कुछ कहते हैं फिर और फंस जाते हैं। राफेल एक ऐसा दलदल है जो मोदी जी और उनकी पूरी सरकार को अपने अंदर खींच रहा है। इससे वे कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे। उन्होंने राफेल सौदे के बदले में फ्रांस में उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को कर माफी दिए जाने का दावा करते हुए कहा कि राहुल गांधी कई बार कह चुके हैं कि सरकार बनने पर राफेल मामले में प्राथमिकी दर्ज होगी, आरोपत्र दायर होगा, मुकदमा चलेगा। यह मैं नहीं कह सकता कि सजा होगी क्योंकि दोष सिद्धि अदालत का काम है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री और डबल ए (अनिल अंबानी) इसमें मुख्य आरोपी होंगे। आखिर यह सब कौन करवा रहा था? सबको पता है कि इसका किसे फायदा हुआ और किसने फायदा पहुंचाया? न्यायपालिका में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के चुनावी वादे पर सिंघवी ने कहा कि यह सिर्फ सुझाव की बात है। नियुक्तियों में केंद्र सरकार की राय होती है। यह बात सही है कि निर्णय न्यायपालिका को लेना है, लेकिन हम बताएंगे कि कमजोर वर्गों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों या महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, इसे बढ़ाया जाए। इतना तय है कि हम कभी हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में ‘न्याय’ के चुनावी वादे के साथ चार प्रमुख मुद्दे- राफेल, नोटबंदी, रोजगार और कृषि संकट हैं। चुनाव बाद गठबंधन के सवाल पर सिंघवी ने कहा कि कई जगह चुनाव पूर्व तालमेल हुआ है। बड़ी पार्टियों के साथ बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक में गठबंधन हुआ है। मैं मानता हूं कि कुछ जगहों पर हम असफल रहे। बंगाल में गठबंधन नहीं हुआ है तो क्या वहां की मुख्य पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) मोदी जी का कोई भी समर्थन करेगी। क्या उत्तर प्रदेश की पार्टियां इनके साथ जाएंगी? उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव बाद भाजपा विरोधी पार्टियां साथ आएंगी और सरकार बनाएंगी।