आलोक कौशिक,
बिहार के नवनियुक्त डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय चैन से बैठने वाले नहीं है। पदभार ग्रहण करते ही उनके नेतृत्व में पुलिस ने मुजफ्फरपुर से लूटे गए 10 करोड़ के सोने को बरामद करने का शानदार काम कर दिखाया। इसके लिए भी गुप्तेश्वर पांडेय की राष्ट्रीय स्तर पर तारीफ हो रही है। मुथूट फाइनेंस ग्रुप के चेयरमैन ने उन्हें धन्यवाद दिया है और बिहार पुलिस के लिए ₹30 लाख रूपये के इनाम की घोषणा की है। अब बड़ी खबर यह है कि डीजीपी बिहार के सभी पुलिस उपाधीक्षकों (DSP) की कार्यशैली पर विशेष नजर रख रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार डीजीपी की नजर बिहार के सभी डीएसपी पर है। बिहार के सभी जिलों में तैनात डीएसपी के कामों को 1 से 10 अंक के आधार पर रखा जा रहा है। डीजीपी खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। देखा जा रहा है कि किन इलाकों में अपराध की रिपोर्टिंग हुई और फिर उसमें क्या कार्रवाई हुई।
डीजीपी ने विभिन्न जिलों के 15 से 20 की संख्या में ऐसे डीएसपी को चिन्हित भी कर लिया है। इन इलाकों में अपराध रिपोर्ट तो हो रहे हैं लेकिन उस पर कार्रवाई की गति बहुत धीमी है। इन सभी डीएसपी को शंटिंग में भेजा जा सकता है या उनकी पनिशमेंट पोस्टिंग की जा सकती है।
बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय खुद भी एक्टिव रहने वाले हैं और पुलिस को भी एक्टिव मोड में रखना चाहते हैं। उन्होंने आते ही कहा था कि अपराधियों की गोली का जवाब गोली से देंगे। इसका नतीजा 9 फरवरी की रात में दिखा जब पटना के पालीगंज में पुलिस ने भगोड़े अपराधी जुम्मन खान को 2 घंटे की फायरिंग के बाद 11 साथियों के साथ अरेस्ट किया। धरपकड़ की इस कार्रवाई में पालीगंज डीएसपी मनोज पांडे और उनकी टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। पालीगंज डीएसपी मनोज पांडेय खुद ही गोलियां चलाते हुए उस घर में कूदे थे, जिसमें अपराधी छिपे हुए थे।
इससे पहले भी गुप्तेश्वर पांडेय शनिवार की रात अचानक पटना के 2 थानों को टारगेट कर निकल पड़े थे। पटना के दो थाने थे– एस के पूरी और गर्दनीबाग। डीजीपी ने जब जांच शुरू की तो दोनों थानों में कमियां ही कमियां पाई गई थी। फिर उन्होंने ‘ऑन द स्पॉट’ फैसला लिया और दोनों थानेदारों के साथ ही लापरवाही बरतने वाले दो और पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया था।