अरुण कुमार चौधरी
पटना : पिछले 15 दिनों से मुजफ्फरपुर के आसपास के जिलों में चमकी बुखार का कहर ढा रहा है। जिसमें आजतक करीबन 88 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है और हर दिन बच्चों की मृत्यु दर बढ़ती ही जा रही है। सरकार के मंत्री तथा जिला प्रशासन अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की भारी नाकामी के कारण बच्चों की मौत हो रही है और केंद्र और राज्य सरकार एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। जहां एक ओर इतनी संवेदशील बातें होने बावजूद भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री हर्षवर्धन तथा स्वास्थ्य सचिव का दौरा रद्द हो गया है क्योंकि ये लोग आम जनता के गुस्से के सामना करने की हिम्मत नहीं है क्योंकि इस समय मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के कारण संबंधित परिवार वाले सरकार से काफी नाराज चल रहे हैं। दूसरी ओर राज सत्ता के मद में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का एक बेतूकी बयान आया है कि बच्चे की मौत खाली पेट में लीची खाने की वजह से हो रही है। ऐसे इस बयान से लगता है कि श्री चौबे बिहार तथा भारत के नागरीक नहीं है और ये विदेश से आये हुये हैं। क्योंकि मुजफ्फरपुर की लिची सैकड़ों वर्ष पुरानी एक राष्ट्रीय और राजकीय पहचान है। इसके साथ-साथ बिहार राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. संजय कुमार ने तो एक बयान देकर सारी झूठ की सीमाएं पार कर दी है। उन्होंने बच्चे के मौत के संबंध में कहा है कि बच्चों की मौत चमकी बुखार में सिर्फ 11 बच्चों की मौत हुई है। यह भी एक बयान गैरजिम्मेवारी तथा सत्ता के अहंकार को दर्शाता है। ऐसे तो इस समय लोकसभा चुनाव में विपक्ष के कड़ी हार के कारण बिहार के सारे विपक्षी दल अभी तक निराश और हदास में हैं। जिसके कारण इस तरह की घटनाओं को विपक्षी दल कोई आवाज नहीं उठा पा रहे हैं। आम लोगों का कहना है कि बिहार में सुशासन बाबू की सरकार को बदनाम करने के लिए बीजेपी के ही कुछ लोग लग गये हैं जिसके कारण नीतीश कुमार की फजीहत होते दिख रहा है। हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार ये संख्या 55 बताई जा रही है। मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का कहर जारी है। मरनेवालों और पीड़ितों के आने का सिलसिला नहीं थम रहा। एसकेएमसीएच में तीन और बच्चों की मौत हो गई। वहीं, 14 नए मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया है। इस बीमारी से अबतक 64 बच्चों की मौत हो गई है।पांच बच्चे केजरीवाल अस्पताल में लाए गए हैं। मरनेवालों की पहचान मोतिहारी-मधुबन के सुनील कुमार, सरैया-बखरा के चिंटू कुमार व मजुफ्फरपुर-करजा के दीनानाथ कुमार के रूप में हुई है।इस मौसम में एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में अब तक 61 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि, 167 भर्ती हुए हैं। इससे पहले मंगलवार की देर रात दो और बुधवार को पांच बच्चों की मौत हो गई थी। इस सीजन में स्थिति सबसे भयावह रही। पांच बच्चे केजरीवाल अस्पताल में लाए गए हैं। इस सीजन में सोमवार को स्थिति सबसे भयावह रही। उस दिन 23 बच्चों की मौत हुई थी। इधर, मामला बढ़ने के बाद बीमारी का जायजा लेने केंद्रीय टीम बुधवार की देर शाम एसकेएमसीएच पहुंची। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने पीड़ित बच्चों की जांच की। साथ ही, स्थानीय डॉक्टरों की टीम के साथ बीमारी और कारणों पर चर्चा भी की। बता दें कि बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टरों की केंद्रीय जांच टीम मुजफ्फरपुर के रङटउऌ पहुंची। इनमें डॉक्टर अरुण कुमार सिन्हा के नेतृत्व में डॉ. गोयल, डॉ. पूनम, पटना अककटर के डॉ. लोकेश और ठउऊउ पटना के डॉ. राम सिंह शामिल थे। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने एईएस की चपेट में आने से 35 बच्चों की मौत होने की बात स्वीकार की है। हालांकि यह स्वीकारोक्ति वास्तविक आंकड़े से काफी कम है। यही नहीं मुजफ्फरपुर के डीएम के अनुसार मौत के आंकड़े 43 हैं। इस बीमारी के कहर पर सरकार के विफलताओं पर जनआंदोलन होनी चाहिए।