मणिपुर में हो रहे संवैधानिक अधिकारों के हनन और देशभर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन


अदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर राष्ट्रीय अदिवासी छात्र संघ ने निकाला आक्रोश मार्च, किया पुतला दहन


आदिवासी – मूलवासी के प्रति हेमंत सोरेन का रवैया साफ तौर पर दर्शाता है कि इनके कथनी और करनी में कितना फर्क है: विक्की धान


मणिपुर की सरकार संवेदनहीन सरकार है: आनंद मरांडी


मणिपुर की घटना ने सभी देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है: अर्जुन केरकेट्टा


हजारीबाग। मणिपुर में हो रहे संवैधानिक अधिकारों के हनन सहित मध्यप्रदेश में आदिवासी पुरुष के साथ हुए अमानवीय घटना पर चुप्पी साधने वाले सरकार के विरुद्ध एवं मणिपुर के आदिवासी महिलाओं पर हुए अत्याचार और लगातार हो रही हिंसा व झारखंड में हो रहे आदिवासी नेताओं के सरेआम कत्लेआम के खिलाफ राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ एवं जय सरना ट्रस्ट के द्वारा केंद्र सरकार ,मणिपुर सरकार मध्य प्रदेश सरकार और साथ में झारखंड सरकार के खिलाफ भी पुतला दहन किया। इन घटनाओं पर गहरी नाराजगी जताते हुए स्थानीय बिरसा चौक से लेकर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड चौक तक पैदल मार्च किया साथ ही सरकार विरोधी नारे लगाए और डिस्टिक बोर्ड चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन विरेन सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया।


इस मौके पर राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के राष्ट्रीय महासचिव विक्की कुमार धान ने कहा कि पूरे भारत में आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा हैं। कहीं आदिवासियों पर पेशाब किया जा रहा है तो कहीं आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जाता है मणिपुर में लगातार हो रहे 3 महीना से जारी हिंसा के दौरान दो गुटों की लड़ाई में आदिवासियों को लगातार टारगेट किया जा रहा है और झारखण्ड जैसे राज्य में तो आदिवासियों के प्रति जुल्म की इंतेहा हो गई है यहां पर सरेआम गोली मार दी जाती है, हाल ही में रांची में आदिवासी नेता सुभाष मुंडा कि गोली मारकर हत्या कर दिया गया, और रामगढ़ में दीपक मुंडा पर हमला, हजारीबाग में आदिवासी महिला को भू माफियों द्वारा जानलेवा हमला, ये सारी घटनाएं साफ साफ तौर पर यह दर्शाता है कि ऐसी-ऐसी सरकारों का आदिवासीयों के प्रति किस प्रकार का नज़रिया है।

आदिवासी बहुल राज्य झारखंड की तानाशाही सरकार के बेलगाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आक्रोश प्रकट करते हुए गहरी नाराजगी जताई, और विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर हल्ला बोला आदिवासियों की आवाज को बुलंद करते हुए विक्की धान ने कहा कि झारखण्ड में कहने को तो आदिवासी मुख्यमंत्री हैं पर यह सरकार आदिवासियों की हित में कुछ कर नहीं रही है। बल्कि बाहरियों के विकास और लाभ पहुंचाने का कार्य में जुटी हुई है। हालांकि हेमंत सोरेन लगातार कहते रहे हैं कि झारखंड में मूलवासी और आदिवासियों की सरकार है और आदिवासियों के विकास लिए लगातार कार्य कर रही है मगर जिस प्रकार से आदिवासियों और मूल वासियों के साथ झारखंड सरकार का अभी तक का रवैया है यह साफ तौर पर दर्शाता है कि इनके कथनी और करनी में कितना फर्क है यह झारखंडियों के साथ एक प्रकार से धोखा है। आने वाले चुनाव में हम सभी झारखंड वासी ऐसी संवेदनहीन सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे।

*एन केन प्रकारेन सिर्फ़ बहरियों के लिए काम कर रही है झारखंड सरकार
अभी तक झारखंड सरकार ने आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कुछ करना तो दूर की बात ऐसी घटनाओं पर किसी भी प्रकार की संवेदना और दुख तक व्यक्त नहीं किया है सदैव ट्विटर पर एक्टिव रहने वाले हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट तक नहीं किया, अगर हेमंत सोरेन को आदिवासी समाज मुख्या मंत्री बना सकती है तो फिर उसे गिराने का भी ताकत रखती हैं, उन्होंने सख्त लहजे में हेमंत सोरेन सरकार को हल करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन यह बात कान खोल कर सुन ले आदिवासी ना ही बोका है और ना ही तुमको वोट करने के लिए मजबूर हैं। संभल जाओ कोई बाहरी मुसीबत में साथ नहीं देगा। आदिवासी ही आखिर में काम आएगा इसी लिए नींद से जागे और झारखंड वासियों के हित के लिए काम कीजिए।

जिला अध्यक्ष अर्जुन केरकेट्टा ने कहा कि जिस तरह से देश
में अराजकता का माहौल बन गया है लगता है कोई जंग चल रही है मणिपुर की घटना ने पूरी तरह से सभी देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। मणिपुर में दो समुदायों मेथी और सुखी के बीच खूनी संघर्ष जारी है और इस लड़ाई में आदिवासी महिलाओं को लगातार टारगेट किया जा रहा है जो मणिपुर की सरकार की विफलता साबित करती है। मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। कहां की मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है फिर भी दोनों सरकारें पूरी तरह से हिंसा को रोकने के प्रति संविधान ही चीन हो चुकी है और पूरी तरह से विफल साबित हो चुकी है। आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रति पूरी तरह से नाराजगी का इजहार करते हुए कहां की देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला है पर आदिवासी समाज और आदिवासी समाज की महिलाओं के प्रति उनकी ओर से कोई संवेदना दिखाएं नहीं देता झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री के रहते आदिवासियों पर जुल्म अत्याचार किया जा रहा है और आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुप्पी साधे हुए हैं यह उनकी दोहरी राजनीति का चरित्र को उजागर करता है।

,मणिपुर में धारा 356 के तहत राष्ट्रपती शासन लागू कर देना चाहिए परन्तु बीजेपी को सत्ता के आगे कुछ दिखाई नहीं देता है।

शर्म करो कमसे कम अपने पूर्वजों का तो लाज रखो एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था सत्ता तो आती जाती रहेगी पर ये देश रहना चाहिए और यहां के लोग सुरक्षित रहने चाहिए

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के केन्द्रीय उपाध्यक्ष आनंद मरांडी ने कहा कि अगर केन्द्र और राज्य सरकार आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सकते तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है हम इस देश के मालिक हैं हम यहां के मूल निवासी हैं और हमपर सब अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ गई है ये हम नहीं सहेंगे। मणिपुर में 3 माह से हो रहे लगातार हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि मणिपुर की सरकार संवेदनहीन सरकार है।

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ जिला महासचिव विक्की करमाली ने मध्य प्रदेश मणिपुर और झारखंड में आदिवासी समाज के साथ घटित घटनाओं पर कड़े शब्दों में निंदा करते हुए अपनी आवाज को बुलंद किया और सभी आदिवासी समाज के लोगों को एकजुट होकर पूरी मजबूती के साथ जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया। उन्होंने मणिपुर की घटना का पुरजोर तरीके से विरोध प्रकट करते हुए काकी मणिपुर की घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है, यह मानवता को शर्मशार करने वाली घटना है, और सबसे बड़ी बात यह हे की ऐसी अमानवीय
घटना घटित होने के बाद भी अभी तक उन अपराधियों पर सरकार का कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखी, और इस घटना का कोई भी पार्टी या समुदाय के लोग इसका विरोध नही किया है ये उससे भी गलत बात है कि अत्याचार के खिलाफ चुप रहना। देश की सभी राजनीतिक पार्टियां सिर्फ आदिवासियो को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करना जानती है, ऐसी घटना में सभी पार्टियों को इसकी निंदा करनी चाहिए, अगर झारखंड में ऐसा रहा तो सभी पार्टियों का अंत निश्चित है,और झारखंड में सिर्फ आदिवासी पार्टी का विस्तार होगा।

अधिवक्ता किरण मुंडा ,(जय सरना ट्रस्ट) केंद्रीय सचिव सह सरना धर्म अगुआ कोयलांचल क्षेत्र रामगढ़ ने कहा कि मणिपुर की घटना पुरे देश के सभी जाति धर्म को शर्मशार कर दिया है कि आज भी ये आज़ाद भारत देश के अंदर इस प्रकार से अत्याचार हो रहे हैं, झारखंड में आदिवासी अगुआ जैसे सुभाष मुंडा,दिपक मुंडा को दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है और सभी राजनितिक पार्टीयां सिर्फ अपनी रोटी सेकने में लगी हुई है जिसकी दलाली प्रत्येक प्रशासन करती है, ऐसी घटनाओं का जिम्मेदार भी ऐसे ही लोग हैं। आदिवासी समाज को कभी न्याय नहीं मिलता। अब वक्त आ गया है कि हमें अपने हक अधिकार की लड़ाई के लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद करने का।

अर्जुन उरांव ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि उन लोगों से कहना चाहूंगा जो कोई आदिवासी महिलाओं एवं अन्य महिलाओं पर बलात्कार जैसे अत्याचार करने को अपने आप को अगर मर्द समझते हैं तो मैं कहना चाहूंगा अगर मर्द ऐसे होते हैं तो शर्म करो ऐसे मर्दानगी पर।
एवं सुभाष मुंडा के हत्यारों से कहना चाहूंगा कि हमें मजबूर ना करें अन्यथा क्या करेंगे सोच नहीं सकते। सभी वैसे लोग ऐसी अमानवीय घटनाओं को लेकर दोषियों का पक्ष रखने का काम करते हैं। इतिहास उठाकर देख लीजिए 1820 का कोल्हान में आदिवासियों के सामने अंग्रेजी एवं आर्य राजा महाराजा सरेंडर कर घुटने टेक दिए थे एवं केंद्र सरकार से कहना चाहूंगा विभिन्न राज्यों में आदिवासियों पर अत्याचार को देखते हुए। लगता है आज भारत देश की राजनीति में आदिवासियों की कोई अहमियत नहीं है तो सुन ले हम आदिवासी प्राकृतिक हैं और हम प्राकृतिक से हैं।

इस मौके पर मुख्य रूप से राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के जिला अध्यक्ष अर्जुन केरकेट्टा , जिला कार्यकारी अध्यक्ष अनिल तिर्की, जिला सचिव मनीष मिंज, जिला महासचिव विक्की करमाली, कोषाध्यक्ष प्रदीप उरांव, मिडिया प्रभारी नितेश उरांव, विनोबा भावे विश्वविद्यालय अध्यक्ष रोशन कुमार टोप्पो, कार्यकारी अध्यक्ष राहुल बान्डो, सचिव खुशबु टोप्पो, संत कोलंबस कालेज अध्यक्ष कुणाल हंसदा, किरण मुंडा, कुसुम कुजुर, खुशबू टोप्पो, जिला कमिटी सदस्यों में दिनेश प्रधान, आरती गाड़ी, नेहा उरांव, सबिता उरांव, निशा लिण्डा, सोनू धान, पिन्टु उरांव, बिमल गाड़ी, प्रवेश उरांव, आदी उरांव, प्रवेश खलखो, ऊषा लिण्डा, मनिषा उरांव, रवि रंजन मांझी आदिवासी नेता, पवन उरांव ,मनीष उरांव, बबलु उरांव, अनमोल खलखो, अनिल उरांव, आकाश संगा ,संदीप गंझु, ,सुरज उरांव, अजय कुमार, महेंद्र उरांव, शिवकुमार उरांव , रवि उरांव, राजेश उरांव, अमित उरांव, रंजिश उरांव, रोहित उरांव, बबलु उरांव, रंजित उरांव सहित सैकड़ों कि संख्या में राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के कार्यकर्ता मौजूद थे।

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