बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जब भारत पर बदले की नीयत से हमले की कोशिश की, तो उसे एयरफोर्स ने बखूबी नाकाम किया था। भारतीय पायलट्स पड़ोसी देश के जेट्स को बॉर्डर पार तक खदेड़ कर आए। इस पूरे घटनाक्रम में विंग कमांडर अभिनंदन की बहादुरी की खूब चर्चा हुई, लेकिन कार्रवाई को सफल बनाने में जिन अन्य लोगों का हाथ था उनमें से कई नाम गुमनाम रह गए। इन्हीं में एक महिला स्क्वॉड्रन लीडर भी थीं, जिन्होंने अपनी सूझबूझ और असाधारण सतर्कता से हमले को नाकाम बनाने में पूरा साथ दिया था।
फिलहाल इस ऑफिसर का नाम सामने नहीं आया है और हो सकता है सुरक्षा की दृष्टि से कभी आए भी नहीं, लेकिन उनकी बहादुरी का एयरफोर्स जरूर आदर करेगी। मिली जानकारी के मुताबिक, एयरफोर्स के विशिष्ट सेवा मेडल के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई है।
महिला स्क्वॉड्रन लीडर एयरफोर्स में फाइटर कंट्रोलर की भूमिका में हैं। फिलहाल पंजाब में स्थित आईएएफ के एक रडार कंट्रोल स्टेशन पर उनकी पोस्टिंग है। 27 फरवरी को जब पाकिस्तान की तरफ से करीब 24 एफ-16, जेएफ-17एस और मिराज 5 से हमला किया गया, तो फाइटर कंट्रोलर ने उस तनाव भरे माहौल को काफी अच्छे से संभाला और लगातार भारतीय फाइटर पायलट्स को पाकिस्तानी जेट्स की जानकार देती रहीं।
एयरफोर्स को उस दिन सुबह से ही ऐसे इनपुट मिल रहे थे कि पाकिस्तान हमले की तैयारी कर रहा है। फिर 9.45 तक साफ हो गया कि पाकिस्तान एयरफोर्स ने अपने फाइटर प्लेन्स को लाइन ऑफ कंट्रोल की तरफ भेजा है। थोड़ी देर बाद पीएएफ के 4 जेट्स ने रजौरी के कलाल इलाके से एलओसी क्रॉस की।
तब स्क्वॉड्रन लीडर ने बिना वक्त गंवाए कंट्रोल रूम से दो सुखोई और दो मिराज को अलर्ट कर दिया। जब देखा कि पाकिस्तान की तरफ से और जेट्स भी आ रहे हैं तब उन्होंने ही 6 मिग्स को सबसे पास के एयरबेस (श्रीनगर) से उड़ान भरने को कहा। कहा जाता है कि अचानक मिग प्लेन्स के आने से पाकिस्तानी पायलट्स चौंक गए थे। इस पूरे ऑपरेशन में भी स्क्वॉड्रन लीडर का अहम रोल था। महिला स्क्वॉड्रन लीडर ने ही पायलट्स को बताया था कि पाकिस्तान ने एफ-16 से हमला किया है जिसपर मीडियम रेंज की AIM-120C अडवांस मिसाइल लगी हैं।
दोनों देशों के जेट्स के बीच हुई डॉगफाइट में विंग कमांडर अभिनंदन ने एफ-16 को आर-73 मिसाइल से मार गिराया था। हालांकि, इसमें वह बॉर्डर पार चले गए थे, जहां उनके मिग को पाकिस्तान ने गिरा दिया था। अभिनंदन को पाक सेना ने बंदी बना लिया था, लेकिन भारतीय कूटनीति के बाद उन्हें 1 मार्च को रिहा भी कर दिया गया।