News Agency : एक टूटती है तो दूसरी राह दिखने लगती है। चितविश्राम गांव के कुतहा टोला के सुरेश मेहता ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। यह कहना जरूरी है कि जिंदगी चलने का नाम है। रास्ते खुद बनाने होंगे और उस पर चलकर मिसाल कायम करना होगा। सुरेश मेहता सब्जी की खेती के साथ-साथ अनाज उपजा कर न सिर्फ अपना घर चलाते हैं, बल्कि गरीबी उन्मूलन का एक उदाहरण भी पेश किया है। सुरेश की सब्जी की खेती देख गांव के करीब डेढ़ दर्जन किसान सब्जी की खेती…
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