News Agency : 2009 में वो कडप्पा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने. अगर उनके पिता जीवित होते तो जगन भी कांग्रेस में होते. पिता के असामयिक निधन के बाद जगन को कांग्रेस में मन मुताबिक़ तवज्जो नहीं मिली और उन्होंने कांग्रेस से अलग राह चुन ली.राजनीति में दस्तक के कुछ ही महीनों बाद जगनमोहन ने अपने पिता को खो दिया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी के साथ उनका टकराव, वित्तीय मामलों में फँसने के बाद sixteen महीनों की जेल उनके इर्द-गिर्द घूमती रहीं. हालांकि जगनमोहन ने राजनीतिक रूप से कभी सरेंडर…
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