लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपनी खोयी हुई जमीन को वापस पाने की कवायद में जुट गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्वात्तर की कुल 25 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. कांग्रेस ने तीन-चार अलग-अलग मुद्दों के सहारे पूर्वोत्तर में अपने टारगेट को हासिल करने की रणनीति बनाई है. अब देखना है कि राहुल गांधी का पूर्वोत्तर मिशन कितना कामयाब होता है.
राहुल गांधी ने मंगलवार को असम में रैली के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों के नेताओं के साथ बैठक कर कांग्रेस की वापसी के लिए रणनीति बनाई. राहुल ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों के कांग्रेस जिला और खंड इकाई प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी क्षेत्र में चुनाव लड़ते हुए तीन से चार प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें रोजगार संकट, किसानों की समस्या और भ्रष्टाचार शामिल है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 2019 का चुनाव जीतने जा रही है. यह वास्तविकता है और इसे कोई रोक नहीं सकता. उन्होंने कहा कि मैं पूर्वोत्तर में कांग्रेस पार्टी से 20 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रहा हूं, उससे कुछ भी कम नहीं. हालांकि मेरा मानना है कि आपको 22 सीटें जीतने का प्रयास करना चाहिए.
बता दें कि 2014 में पूर्वोत्तर में कांग्रेस को महज आठ सीटें मिली थीं. इसमें असम में तीन, मणिपुर में दो और अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में एक-एक सीट मिली थी. जबिक बीजेपी को असम में सात लोकसभा सीट और अरुणाचल प्रदेश में एक सीट जीती थी जिसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू करते हैं.
राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सदस्यों को पार्टी को सभी राज्यों में सत्ता में वापस लाने पर काम करना चाहिए जहां से उसे ‘गलत तरीके’ से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत और पूर्वोत्तर में तीन-चार मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी. इसमें एक नागरिकता विधेयक है. कांग्रेस का रुख स्पष्ट है कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं. कांग्रेस पार्टी पूर्वोत्तर के साथ खड़ी हुई और विधेयक को राज्यसभा में आने से रोक दिया.
कांग्रेस अध्यक्ष ने एनआरसी के अपडेट को सही तरीके से लागू नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि रोजगार का संकट बड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई फिक्र नहीं है और लोगों की समस्याएं सुलझाने में उनकी रुचि नहीं है. हम पूर्वोत्तर को शिक्षा का केंद्र बनाना चाहते हैं.
दरअसल पूर्वोत्तर एक दौर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी इस इलाके में अपना आधार बढ़ाने में कामयाब रही है. हालांकि मौजूदा समय में नागरिकता संशोधन विधेयक और पीआरसी के चलते बीजेपी के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को अपनी वापसी की उम्मीद नजर आ रही है.