भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान से भारत आने के बाद सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का एक नया सिलसिला शुरू हो गया है.
बीजेपी समर्थक, अभिनंदन वर्तमान के दो दिन के अंदर घर वापस आने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दे रहे हैं. वहीं, विपक्षी दल चरमपंथ के ख़िलाफ़ सरकार से और क़दम उठाने की मांग कर रहा है.
लेकिन पुलवामा हमले में मारे गए सीआरपीएफ़ जवानों के परिवारीजन इस मुद्दे पर राजनीतिक गरमा-गरमी से आहत नज़र आ रहे हैं. पंजाब से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश में पुलवामा हमले में मारे गए जवानों के परिवार से बात करके वर्तमान हालात पर उनकी राय जानने की कोशिश की है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले रंजीत कुमार गौतम के बड़े भाई अजीत कुमार गौतम भी पुलवामा की घटना में मारे गए थे. रंजीत का कहना है कि भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन के वापस आने पर हम लोगों को खुशी है लेकिन उनका पूरा परिवार पुलवामा घटना की जांच पूरी होने का अब भी इंतज़ार कर रहा है.
उन्होंने कहा, “ये जो हमला हुआ इसकी जांच होनी चाहिए, कि कैसे हुआ किन सूत्रों से हुआ. चुनावों से पहले जांच नहीं होगी तो इसका श्रेय किसी व्यक्ति को मिल जाएगा, किसी राजनीतिक दल को मिल जाएगा.”
उन्होंने कहा, “हमारा पूरा परिवार इसकी जांच मांगता है. सबको पता है कि पहले से एलर्ट था, सुनने में आ रहा है कि उस दिन जम्मू भी बंद था. मतलब पहले से ही सब प्लान था कि यहां कुछ होने वाला है, फिर भी बिना सिक्यूरिटी के इतनी सारी गाड़ियां वहां भेज दी गईं.”
भारत सरकार को पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के शांति संदेश पर विचार करते हुए क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए हर मसले का हल खोजने का प्रयास करना चाहिए.
यह विचार पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सुखजिंदर सिंह के परिवार ने व्यक्त किये. इसके साथ ही उन्होने पुलवामा आतंकी हमले की जांच की मांग की.
सुखजिंदर सिंह 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए सीआरपीएफ जवानों में से एक थे. सुखजिंदर सिंह तरन तारन से 20 किलोमीटर दूर गंढीविंड धॉतल गांव के रहने वाले थे. सुखजिंदर सिंह के परिवार में इनकी पत्नी, एक 8 माह का बेटा, माता-पिता और एक बड़ा भाई है.
सहयोगी रबिंदर सिंह रॉबिन से बात करते हुए सुखजिंदर के भाई गुरजंट कहते हैं, “हमारे लिए तो 14 फरवरी से ही युद्ध लग गया था जब उनके छोटे भाई की पुलवामा आतंकी हमले में मरने की सूचना आई. हमारा परिवार ही जानता है कि युद्ध क्या होता है. इमरान खान द्वारा भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा कर भारत को एक शांति का संदेश दिया है और मैं समझता हूं कि पाक के इस शांति के इशारे को समझते हुए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ायें.
वहीं, पेशे से किसान गुरमेज सिंह (सुखजिंदर के पिता) कहते हैं, “हर इंसान का सोचने का नज़रिया अपना-अपना होता है, चाहे मैंने अपना बेटा इस आतंकी हमले में गवां दिया लेकिन मैं नहीं चाहता कि भविष्य में किसी ओर के परिवार का सदस्य आतंकवाद की भेंट चढ़े. हमें शांति का जवाब शांति से ही देना चाहिए.
सुखजिंदर के परिवार ने इस बात पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए बताया कि सरकार और सीआरपीएफ़ की कंपनी उन्हे और उनके परिवार का पूरा ध्यान रख रही है और साथ ही उन्होने उनके बेटे का बनता मान सम्मान देने का भी पूरा भरोसा दिलाया है.
वहीं युद्ध की विभीषिका पर बात करते हुए गुरजंट सिंह कहते हैं, “हम गांव वाले लोग है हमें बड़ी बातों का कुछ ज्यादा पता नहीं होता लेकिन मैं इतना समझता हॅू कि एक घर में झगड़ा हो जाये तो उसको निपटाने में भी कई नुकसान हो जाते है और ये तो दो देशों का झगड़ा है तो इसमें सोचो कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है.”
अपने भाई की मौत से आहत गुरजंट सिंह का कहना था, “आज उन्होने हमारे 40 मारे हम उनके 400 मारेंगे, कल वे हमारे 800 मारेंगे और हम 8 हजार, और कितने घर उजड़ जाएंगे. ये सब बंद होना चाहिए.”
भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी बयानबाजी में पुलवामा हमले की जांच का मुद्दा गायब हो जाने की वजह से पुलवामा हमले में मरने वाले सीआरपीएफ़ जवान संजय के पिता आहत नज़र आते हैं.
बीबीसी के सहयोगी नीरज प्रियदर्शी से बात करते हुए संजय के पिता महेंद्र प्रसाद कहते हैं, “यह सब देखकर बहुत दुखी है मन. अच्छा तो कुछ हो नहीं रहा है. वैसी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं, उल्टा बढ़ ही रही हैं. सरकार का ध्यान तो है. मगर पूरी तरह ध्यान नहीं है. जब अटैक होता है तो ये लोग उस समय सामना करते हैं, उसके बाद भूल जाते हैं. फिर अटैक हो जाता है. लेकिन, अब जरूरी हो गया है सरकार के लिए सोचना. हमारा प्रधानमंत्री से आग्रह है कि इसको पूरी तरह से खत्म कर दें.”
“जिस तरह से एयरफोर्स और मिलिट्री ने उग्रवाद के ट्रेनिंग सेंटर पर हमला करके तबाह किया है, वैसी ही कार्रवाइयां और होनी चाहिए. पूरे पाकिस्तान में जहां-जहां ऐसे ट्रेनिंग सेटंर चलते हैं, उन सब जगहों को खत्म करना होगा.”
इसके बाद जब महेंद्र प्रसाद से ये सवाल किया गया कि युद्ध होने पर फिर से किसी पिता को अपना बेटा खोना पड़ सकता है…
इसके जवाब में महेंद्र कहते हैं, “हां, यह होगा. लेकिन दूसरा उपाय क्या है? पाकिस्तान मान भी तो नहीं रहा है. समझौता करना नहीं चाहता है. वो अपने यहां से आतंक खत्म नहीं कर रहा है. और जहां तक बात बेटों की है तो हमारे बेटे तो ऐसे भी शहीद हो ही रहे हैं. अच्छा होगा उन्हें मारकर हों.”
लेकिन खुद को संभालते हुए महेंद्र प्रसाद कहते हैं, “अब क्या कहें, पाकिस्तान भी तो हम लोगों का अंग है. भारत के साथ मिला जुला कर रहे. भाई को भाई समझने की जरूरत है. जो लोग पाकिस्तान को लेकर अभद्र बातें कर रहे हैं, गालियां दे रहे हैं, वे गलत कर रहे हैं. कुछ लोग अफवाह भी फैला रहे हैं. मगर एक देश के नागरिक होने के नाते सबका कर्तव्य है कि वह दूसरे देश को भी उतने ही सम्मान की दृष्टि से देखें.”
(बीबीसी से साभार)