2016 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले को दो साल होने को हैं, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय को अभी ये नहीं पता है कि इस दौरान देश में कितनी मौतें हुई थीं. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि नोटबंदी के बाद हुई मौतों के बारे में उसके पास कोई ‘‘सूचना’’ नहीं है. गौरतलब है कि नोटबंदी होने के बाद देश में कई नागरिकों की मौत की खबर आई थी, जो बैंक की लाइन में थे या ड्यूटी कर रहे थे.
PMO में मुख्य जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष यह दावा किया. केंद्रीय सूचना आयोग एक RTI आवेदक की याचिका पर मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसे आवेदन देने के बाद आवश्यक 30 दिनों के अंदर सूचना मुहैया नहीं कराई गई थी.
नीरज शर्मा ने PMO में आरटीआई आवेदन देकर जानना चाहा था कि नोटबंदी के बाद कितने लोगों की मौत हुई थी और उन्होंने मृतकों की सूची मांगी थी. PMO से निर्धारित 30 दिनों के अंदर जवाब नहीं मिलने पर शर्मा ने सीआईसी का दरवाजा खटखटाकर अधिकारी पर जुर्माना लगाए जाने की मांग की.
सुनवाई के दौरान PMO के सीपीआईओ ने आवेदन का जवाब देने में विलंब के लिए बिना शर्त माफी मांगी. उन्होंने कहा कि शर्मा ने जो सूचना मांगी है वह आरटीआई कानून की धारा 2 (एफ) के तहत ‘सूचना’ की परिभाषा में नहीं आती है.
सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों की सुनवाई करने और रिकॉर्ड देखने के बाद आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता ने आरटीआई आवेदन 28 अक्टूबर 2017 को दिया था और उसी दिन वह जवाब देने वाले अधिकारी को मिल गया था. CPIO ने सात फरवरी 2018 को उन्हें जवाब दिया. इस प्रकार जवाब दिए जाने में करीब दो महीने का विलंब हो गया.’’
गौरतलब है कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में 18 दिसंबर, 2018 को कहा था कि उपलब्ध सूचना के मुताबिक नोटबंदी के दौरान भारतीय स्टेट बैंक के तीन अधिकारी और इसके एक ग्राहक की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि नोटबंदी से जुड़ी मौत पर सरकार की यह पहली स्वीकारोक्ति थी.
आपको बता दें कि 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देर रात 8 बजे ऐलान करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों पर बैन लगा दिया था. सरकार का कहना था कि उन्होंने ऐसा कालेधन पर रोक लगाने के लिए किया था. हालांकि, हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में पहले से ज्यादा कैश उपलब्ध है.